विदेश संबंधों के बारे में संक्षिप्त विवरण

विदेशों के साथ संबंध विस्तार से

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क)

  • सन् 1985 में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्‍थापना, ऐसे देशों को औपचारिक रूप से एक साथ लाने के लिए की गई थी जो पहले से ही ऐतिहासिक और सांस्‍कृतिक संबंधों के बंधन में अनौपचारिक रूप से बंधे हैं । सार्क में बंगलादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्‍तान शामिल हैं । इसकी स्‍थापना इस उद्देश्‍य से की गई थी कि तेजी से बढ़ती अन्‍योन्‍याश्रित दुनिया में शांति, स्‍वतंत्रता, सामाजिक न्‍याय और आर्थिक समृद्धि के उद्देश्‍य आपसी समझ-बूझ, पड़ोसियों के साथ अच्‍छे संबंध और सार्थक सहयोग से ही प्राप्‍त किए जा सकते हैं । गरीबी उन्‍मूलन, आर्थिक और सामाजिक विकास तथा अधिक से अधिक जन-जन संपर्क सार्क के मुख्‍य उद्देश्‍य थे ।
  • यद्यपि, पारस्‍परिक रूप से लाभप्रद सहयोग इसका उद्देश्‍य था, यह महसूस किया गया कि सार्क, सदस्‍य देशों के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दायित्‍वों के अनुरूप परम समानता, क्षेत्रीय अखंडता तथा दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेप न करने के सिद्धांतों के प्रति सम्‍मान पर आधारित हो । इस तरह सार्क में सभी स्‍तरों पर निर्णय लेने की व्‍यवस्‍था, द्विपक्षीय और विवादित मसलों को संगठन के विचार-विमर्श से बाहर करते हुए सर्वसम्‍मति पर आधारित है ।
  • पिछले 21 वर्षों में 13 शिखर सम्‍मेलन आयोजित किए गए हैं और पिछला शिखर सम्‍मेलन नवंबर, 2005 में ढाका में आयोजित किया गया था । 14वां शिखर सम्‍मेलन 3-4 अप्रैल, 2007 को नई दिल्‍ली में आयोजित किया जाना है जहां अफगानिस्‍तान को सार्क के 8वें सदस्‍य के तौर पर औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा । सार्क के दिशानिर्देशों के अनुसार भारत, 15वें सार्क शिखर सम्‍मेलन तक सार्क का अध्‍यक्ष रहेगा ।
  • 13वां शिखर सम्‍मेलन (ढाका, नवंबर, 2005), सार्क की स्‍थापना के तीसरे दशक में सार्क के प्रवेश के अवसर पर हुआ था । नेताओं ने स्‍वीकार किया कि अब सार्क के घोषणा के दौर से निकलकर कार्यान्‍वयन के दौर में प्रवेश करने का समय आ गया है । दक्षिण एशिया मुक्‍त व्‍यापार समझौते (साफ्टा) का अनुसमर्थन और सार्क विकास कोष की स्‍थापना का निर्णय इस दिशा में महत्‍वपूर्ण कदम हैं । साफ्टा, 1 जनवरी, 2006 से लागू हो गया है । सार्क विकास कोष, सभी सार्क परियोजनाओं और कार्यक्रमों के लिए एक वित्‍तीय संस्‍था के रूप में कार्य करेगा । इसमें अवसंरचना और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के साथ साथ सीमा पार सहयोगी परियोजनाओं के कार्यान्वयन की क्षमता है । फरवरी, 2007 में इसके शासी मंडल की प्रथम बैठक के पश्‍चात् सार्क विकास कोष एक कानूनी संस्‍था बन जाएगा ।
  • प्रधानमंत्री ने 13वें शिखर सम्‍मेलन के दौरान, क्षेत्र में अधिक से अधिक संपर्क की आवश्‍यकता पर जोर देते हुए कहा था कि यदि हम चाहते हैं कि सार्क के अगले 20 वर्ष कुछ अलग हों, तो हमें पहले उपमहाद्वीप के देशों को पुन: जोड़ने और फिर इस उपमहाद्वीप को विशाल एशियाई पड़ोस से पुन: जोड़ने का निर्णय लेना चाहिए । उन्‍होंने पारस्‍परिक आधार पर क्षेत्र के सभी देशों के लिए पारगमन सुविधाओं का प्रस्‍ताव किया जिसमें खुली आसमान व्‍यवस्‍था के जरिए अधिक से अधिक विमान संपर्क भी शामिल है । हमें उम्‍मीद है कि नई दिल्‍ली में 14वां शिखर सम्‍मेलन, संपर्क के इस विषय को आगे बढ़ाएगा ।
  • 13वें सार्क शिखर सम्‍मेलन के दौरान, भारत ने सार्क को पुन: सक्रिय बनाने के लिए अनेक प्रस्‍ताव किए थे । सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र की स्‍थापना का हमारा प्रस्‍ताव अनुमोदित किया गया था और अक्‍तूबर, 2006 से नई दिल्‍ली में इस केंद्र ने कार्य करना शुरू कर दिया है । सुनामी और भूकंप जिनसे हमारे क्षेत्र प्रभावित रहे हैं, जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण जनजीवन और संपत्‍ति के भारी नुकसान को देखते हुए यह महत्‍वपूर्ण प्रगति है । हमारे अन्‍य प्रस्‍तावों में दक्षिण एशिया विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना; दक्षिण एशियाई ऊर्जा वार्ता की शुरूआत जिसमें ऊर्जा सुरक्षा क्षमता की स्‍थापना के लिए उपाय सुझाने हेतु विशेषज्ञ, शिक्षाविद, पर्यावरणविद्, अधिकारी और गैर सरकारी संगठन शामिल होंगे; क्षेत्र के लिए एक दूर चिकित्‍सा नेटवर्क, सार्क वस्‍त्र और हस्‍तशिल्‍प संग्रहालय, क्षेत्रीय खाद्य बैंक की स्‍थापना और 14वें सार्क शिखर सम्‍मेलन से पूर्व सार्क कार रैली के आयोजन का प्रस्‍ताव शामिल है । इन प्रस्‍तावों का उद्देश्‍य क्षेत्रीय सहयोग और संपर्क बढ़ाना तथा अपनी साझा ऐतिहासिक, सांस्‍कृतिक और भौगोलिक समानता की ओर ध्‍यान आकृष्‍ट करना है ।
  • सार्क कार रैली, 14वें सार्क शिखर सम्‍मेलन की शुरूआत होगी । यह रैली सीआईआई की भागीदारी से आयोजित की जा रही है । यह कार रैली 15 मार्च, 2007 को बंगलादेश में प्रारंभ होगी और भूटान, नेपाल एवं पाकिस्‍तान से गुजरने के बाद नई दिल्‍ली पहुंचेगी जिसे 3-4 अप्रैल, 2007 को 14वें शिखर सम्‍मेलन में नेताओं द्वारा झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा । तब यह रैली श्रीलंका जाएगी और अंतत: 14 अप्रैल, 2007 को मालदीव में समाप्‍त होगी । यह रैली दक्षिण एशिया क्षेत्र की जीवंत पहचान का प्रतीक होगी और क्षेत्रीय परिवहन अवसंरचना के सुधार की तात्‍कालिक आवश्‍यकताओं की ओर ध्‍यान आकृष्‍ट करेगी । यह क्षेत्र की भौगोलिक और सांस्‍कृतिक विविधता की भी परिचायक होगी । इसका उद्देश्‍य क्षेत्र में जन-जन संपर्क, पर्यटन और व्‍यापार के अवसरों को बढ़ावा देना है ।
  • 14वां शिखर सम्‍मेलन विशेष रूप से महत्‍वपूर्ण होगा क्‍योंकि पहली बार सार्क की सदस्‍यता का विस्‍तार किया जाएगा । सार्क के 8वें सदस्‍य के रूप में अफगानिस्‍तान को शामिल किया जाएगा । इसके अतिरिक्‍त, क्षेत्र के बाहर के 5 पर्यवेक्षक अर्थात् चीन, यूरोपीय संघ, जापान, कोरिया गणराज्‍य और अमेरिका पहली बार सम्‍मेलन में भाग लेंगे । क्षेत्रीय सत्‍ता के रूप में सार्क का दर्जा, पिछले शिखर सम्‍मेलनों से भिन्‍न होगा । बाहरी संपर्कों से सार्क को लाभ होगा तथा अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय के साथ इसके आर्थिक एकीकरण में मदद मिलेगी ।
  • हम देख रहे हैं कि साफ्टा, सार्क में क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग के महत्‍वपूर्ण क्षेत्र को नया आयाम प्रदान कर रहा है । एक जनवरी, 2006 से साफ्टा लागू हो गया है और सन् 2016 तक इसे पूरी तरह प्रचालन में लाना है । यदि सही भावना से साफ्टा को लागू किया जाए और इस समझौते के उल्‍लंघन के प्रयास न किए जाएं तो सार्क में क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को भी काफी बढ़ावा मिलेगा । साफ्टा के पूर्ण कार्यान्वयन से सार्क को सीमा शुल्‍क संघ और अंतत: एक दक्षिण एशिया आर्थिक संघ के रूप में विकसित करने के उद्देश्‍य से सेवाओं और निवेश जैसे आर्थिक एकीकरण के अन्‍य क्षेत्रों में आगे ले जाने में मदद मिलेगी ।
  • 13वें सार्क शिखर सम्‍मेलन में निम्‍नलिखित तीन महत्‍वपूर्ण व्‍यापार सहायता समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए गए :-
    1. सीमा शुल्‍क मामलों में पारस्‍परिक प्रशासनिक सहायता संबंधी समझौता ।
    2. सार्क मध्‍यस्‍थ परिषद की स्‍थापना संबंधी समझौता ।
    3. दोहरे कराधान से बचाव और कर मामलों में पारस्‍परिक प्रशासनिक सहायता संबंधी सीमित समझौता ।
      इस समय
      i) निवेश संवर्द्धन और संरक्षण,
      ii) सार्क मध्‍यस्‍थ और सार्क समाधान नियमावली संबंधी समझौतों पर भी विचार-विमर्श चल रहा है ।
  • आतंकवाद के दमन संबंधी सार्क क्षेत्रीय कन्‍वेंशन पर 1987 में हस्‍ताक्षर किए गए थे । इस कन्‍वेंशन के प्रावधानों को लागू करने के लिए सदस्‍य देशों को राष्‍ट्रीय कानून तैयार करना होता है । भारत ने 1991 में इस कन्‍वेंशन का अनुसमर्थन किया था और 1993 में अपेक्षित नियम तैयार कर लिए थे । कन्‍वेंशन को अद्यतन बनाने के लिए 1987 सार्क कन्‍वेंशन के एक अतिरिक्‍त दस्‍तावेज के तौर पर 12वें सम्‍मेलन के दौरान एक प्रोटोकॉल पर हस्‍ताक्षर किए गए थे । सभी सार्क देशों ने अतिरिक्‍त प्रोटोकॉल का अनुसमर्थन कर दिया है और 12 जनवरी, 2006 से यह लागू हो गया है ।
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र की अनेक एजेंसियों, यूरोपीय आयोग, विश्‍व बैंक और एशियाई विकास बैंक सहित 18 अंतर्राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के साथ सार्क के सहयोग समझौते और जापान, कनाडा एवं जर्मनी के साथ सहयोग समझौते पहले से ही हैं । सार्क के साथ सहयोगी समझौतों में अन्‍य देशों और क्षेत्रीय संगठनों की रुचि बढ़ती रही है ।

मार्च, 2007