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भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी : 2025 के लिए रोडमैप

जुलाई 15, 2020

15 जुलाई 2020 को नेताओं ने भारत-यूरोपीय संघ के 15वें शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। उन्होंने अगले पांच वर्षों संयुक्त कार्रवाई को निर्देशित करने तथा भारत-यूरोपीय संघ के सामरिक साझेदारी को और मजबूत करने हेतु एक सामूहिक रोडमैप के रूप में "भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी : 2025 के लिए एक रोडमैप" का समर्थन किया।

जटिल अंतरराष्ट्रीय माहौल में, भारतीय गणराज्य एवं यूरोपीय संघ, दोनों "विविधता के संघ", लोकतंत्र के मूल्यों को साझा करने, विधि-नियम तथा मानवाधिकारों, को साझा करते हैं, और नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने एवं प्रभावी बहुपक्षीय आवश्यकता के प्रति समान रूप से आश्वस्त हैं। भारत तथा यूरोपीय संघ दोनों एक-दूसरे की सुरक्षा, समृद्धि एवं सतत विकास में समान रुचि रखते हैं। वे एक सुरक्षित, स्वच्छक और अधिक स्थिर दुनिया के निर्माण में संयुक्त रूप से योगदान कर सकते हैं। इसलिए वे इस रोडमैप के आधार पर अपनी सामरिक भागीदारी को और विकसित करने का प्रयास करते हैं।

विदेश नीति तथा सुरक्षा सहयोग


विदेश नीति

1. विदेश नीति और सामूहिक हित के सुरक्षा संबंधि मुद्दों पर भारत-यूरोपीय संघ संवाद तंत्र को और अधिक मजबूत एवं विस्तारित करना।

2. भारत और यूरोपीय संघ के बीच की सामूहिक प्राथमिकताओं पर एशिया-यूरोप बैठक (ए.एस.ई.एम.) और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) क्षेत्रीय मंच के संदर्भ में आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।

सुरक्षा


3. अप्रसार एवं निरस्त्रीकरण, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-प्रतिवाद (आतंकवाद-रोधी, धनशोधन निरोधक तथा आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने सहित) और साइबर सुरक्षा के साझा उद्देश्यों पर ठोस परिणामों के प्रति सहयोग तथा कार्य को मजबूत करना।

4. रणनीतिक प्राथमिकताओं, सुरक्षा के मुद्दों, संकट के दौरान प्रबंधन और शांति व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत तथा यूरोपीय संघ के बीच नियमित सुरक्षा परामर्श स्थापित करना।

5. सैन्य-से-सैन्य संबंधों तथा आदान-प्रदान को मजबूत करना।

6. दोनों पक्षों के रक्षा संस्थानों द्वारा आयोजित संगोष्ठियों, यात्राओं तथा प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के माध्यम से आपसी समझ को और अधिक बढ़ावा देना।

7. समुद्री डकैती के संवाद की जगह समुद्री सुरक्षा संवाद स्थापित करना और आगे समुद्री सहयोग के अवसरों का पता लगाना।

8. भारतीय नौसेना तथा यूरोपीय संघ नौसेना बल (ईयूनवफोर) अटलांटा के बीच सहयोग बढ़ाना।

9. निरस्त्रीकरण तथा अप्रसार पर वार्षिक भारत-यूरोपीय संघ संवाद के माध्यम से निरस्त्रीकरण, अप्रसार एवं निर्यात के नियंत्रण पर विचारों का नियमित आदान-प्रदान जारी रखना।

10. यूरोपोल और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के बीच एक कार्य व्यवस्था स्थापित करना और लागू करना।

11. खुले, स्वतंत्र, स्थिर तथा सुरक्षित साइबरस्पेस को बढ़ावा देने और साइबर सुरक्षा पर सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ अपने अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मानकों और मानदंडों के प्रचार के माध्यम से साइबर क्राइम को रोकने हेतु अपने संयुक्त प्रयासों को जारी रखना।

12. महिला, शांति और सुरक्षा पर एजेंडा सहित संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना पर परामर्श को बढ़ाना।

मानवाधिकार

13. मानव अधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता के साझा मूल्यों को बढ़ावा देने के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में भारत-यूरोपीय संघ मानवाधिकार वार्ता की प्रतिबद्धता की पुष्टि करना, और महिला अधिकार एवं सशक्तीकरण और बाल अधिकार समेत आपसी अधिकारों को समझने और मानव अधिकारों के मुद्दों पर चर्चा करने हेतु नियमित बैठकें आयोजित करना।

14. बहुपक्षीय मंचों में सहयोग बढ़ाना।

व्यापार और निवेश, व्यवसाय और अर्थव्यवस्था

15. संतुलित, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापार तथा निवेश समझौतों की दिशा में काम करना।

16. द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के संबंध को राजनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करने तथा नियमित आधार पर बातचीत जारी रखने हेतु मंत्री स्तर पर उच्च-स्तरीय संवाद स्थापित करना।

17. मौजूदा व्यापार बाधाओं को दूर करने और नई बाधाओं के सामने आने को रोकते हुए, अंतरराष्ट्रीय मानकों तथा सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए संरेखण की मांग करते हुए, अनुरूपता के आकलन में आसानी तथा निवेश की स्थिति में सुधार करते हुए, बाजार पहुंच को बढ़ाने की दृष्टि से, विशेष रूप से लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) के लिए मौजूदा संस्थागत तंत्र के माध्यम से आपसी संबंधों को मजबूत करना, विशेष रूप से भारत-यूरोपीय संघ व्यापार उप-आयोग और इसके विशेष कार्य समूहों एवं संवादों को।

18. जानवरों एवं पौधों के स्वास्थ्य पर तकनीकी कार्य समूहों समेत व्यापार को सुविधाजनक बनाने और सैनिटरी एवं फाइटोसैनेटिक (एसपीएस) उपायों और व्यापार के लिए तकनीकी संबंधित बाधाओं (टीबीटी) को दूर करने के लिए सैनिटरी एवं फाइटोसैनेटिक उपायों तथा तकनीकी बाधाओं (एसपीएस-टीबीटी) पर भारत-यूरोपीय संघ के संयुक्त कार्यदल के बीच सहयोग करना।

19. अंतरराष्ट्रीय मानकों और प्रथाओं के साथ संरेखण को बढ़ावा देना और दवा सक्रिय अवयवों और दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए विशेष रूप से फार्मास्युटिकल्स, जैव प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा उपकरणों पर स्थापित भारत-यूरोपीय संघ संयुक्त कार्यदल के माध्यम से फार्मास्यूटिकल्स तथा चिकित्सा उपकरणों पर नियामक बातचीत जारी रखना। फार्मास्युटिकल तथा मेडिकल डिवाइस के लिए द्विपक्षीय व्यापार और बाजार पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए सहयोग को मजबूत करना। बाजार के खिलाड़ियों के लिए समान स्तर को बढ़ावा देना।

20. कृषि तथा मछली पालन उत्पादों में व्यापार से संबंधित कृषि एवं समुद्री संयुक्त कार्य समूह में मौजूदा संवाद को मजबूत करना जारी रखना।

21. संयुक्त सीमा शुल्क सहयोग समिति के माध्यम से सीमा शुल्क पर संवाद का लक्ष्य।

22. द्विपक्षीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) संवाद करना।

23. अच्छे प्रैक्टिस का आदान-प्रदान करने, आपसी सीखने को बढ़ावा देने और समान्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए पब्लिक प्रोक्योरमेंट पर द्विपक्षीय नियामक वार्ता करना।

24. प्रतिस्पर्धा कानून के संबंध में संवाद शुरु कर सहयोग तथा सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को और मजबूत करना।

25. भारत में यूरोपीय संघ के निवेश प्रवाह को बढ़ावा देने और इसे सुविधाजनक बनाने हेतु 2017 में स्थापित निवेश सुविधा तंत्र (आईएफएम) का वैकल्पिक रूप से उपयोग करना।

26. भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण की सुविधा समेत भौगोलिक संकेतों के पर्याप्त संरक्षण हेतु संवाद करना।

27. वृहद आर्थिक एवं वित्तीय विनियमन संवादों को और मजबूत करना।

28. एसएमई और स्टार्ट-अप सहित भारत एवं यूरोपीय संघ के व्यवसायों के बीच संवाद को मजबूत करना।

29. भारत तथा यूरोपीय संघ यूरोपियन इकोनॉमिक ग्रुप जैसे भारत और यूरोप में स्थित अपने मौजूदा व्यापारिक संगठनों / चैंबरों को मजबूत करना जारी रखेंगे, ताकि भारतीय तथा यूरोपीय व्यापार को सुसंगत अभिव्यक्ति दी जा सके।

सतत आधुनिकीकरण भागीदारी

30. प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत एजेंडा 2030, अदीस अबाबा कार्य एजेंडा, यू.एन.एफ.सी.सी.सी. और पेरिस समझौते के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र जैविक विविधता सम्मेलन जैसे संबंधित दायित्वों और जिम्मेदारियों के अनुपालन (जैसे यूरोपीय निवेश बैंक सहित दोनों ओर के विकास बैंकों और निवेश बैंकों के साथ) के साथ और में, वित्तीय एवं तकनीकी सहायता सहित सहयोगी साधनों तथा गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से भारत-यूरोपीय संघ की साझेदारी को बढ़ाना।

जलवायु परिवर्तन एवं स्वच्छ ऊर्जा

31. पेरिस समझौते, और राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदानों सहित, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) और इसके कानूनी साधनों के पूर्ण कार्यान्वयन हेतु सहयोग करना, साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के मद्देनजर इक्विटी और कॉमन लेकिन विभेदीकृत जिम्मेदारियों तथा प्रतिक्रिया योग्य क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांतों के अनुरूप दीर्घकालिक अल्प ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विकास रणनीतियों का निर्माण करना।

32. पूर्व-औद्योगिक स्तरों से ऊपर 2°C के नीचे वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को धारण करने वाले नवीनतम उपलब्ध विज्ञान के प्रकाश में जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु संयुक्त रूप से वैश्विक प्रयासों का समर्थन करना और तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर में 1.5°C तक सीमित करने के प्रयासों का अनुसरण करना।

33. कन्वेंशन के तहत दीर्घकालिक वैश्विक लक्ष्य की दूसरी आवधिक समीक्षा, और इसे प्राप्त करने की दिशा में समग्र प्रगति में रचनात्मक रूप से संलग्न रहना। इसके अलावा, 2023 में ग्लोबल स्टॉकटेक में रचनात्मक रूप से संलग्न होना, जिसके परिणाम राष्ट्रीय रूप से निर्धारित तरीके से पेरिस समझौते के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार कार्य और समर्थन के बारे में अद्यतन और संवर्द्धन के बारे में जानकारी देंगे।

34. 2016 शिखर सम्मेलन में तय हुए भारत-यूरोपीय संघ स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी को मजबूत करना और एक नई कार्य योजना तैयार करना और इसे लागू करना।

35. ऊर्जा पर, भारत-यूरोपीय संघ स्वच्छ ऊर्जा तथा जलवायु भागीदारी को ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसमें स्मार्ट ग्रिड के माध्यम से ऊर्जा प्रणाली में इसका एकीकरण शामिल है। स्थायी ऊर्जा पहुंच और लचीलापन बढ़ाने हेतु अतिरिक्त ध्यान सुरक्षित तथा स्थायी निम्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा ग्रिड में ऊर्जा व्हीकल चार्जिंग अवसंरचना के एकीकरण, ऊर्जा अनुसंधान व नवाचार और केवल ऊर्जा संक्रमण के समर्थन पर और वित्त जुटाने में और बाजार व निवेश के माहौल में सुधार पर होना चाहिए।

36. भारत-यूरोपीय संघ स्वच्छ ऊर्जा तथा जलवायु भागीदारी के कार्यक्रम के कार्यान्वयन के संचालन हेतु भारत-यूरोपीय संघ ऊर्जा पैनल की नियमित बैठकें तथा भारत के ऊर्जा मंत्रालयों (नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), विद्युत मंत्रालय (एमओपी), पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) और यूरोपीय आयोग के बीच नियमित संवाद।

37. अंतर्राष्ट्रीय मंचों में समन्वय सहित सभी जलवायु परिवर्तन नीतियों पर सहयोग को मजबूत करने हेतु भारत-यूरोपीय संघ जलवायु परिवर्तन वार्ता की नियमित बैठकें आयोजित करना।

38. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और शहरों व कस्बों के जलवायु परिवर्तन लचीलापन को बढ़ाने हेतु सहयोग को फिर से लागू करना, क्योंकि वे जलवायु परिवर्तन शमन में और बुनियादी ढांचे के निवेश के क्लाइमेंट-प्रूफिंग में प्रमुख कारक हैं।

39. भारत तथा यूरोपीय संघ का उद्देश्य ऊर्जा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय मंचों और संगठनों में सहयोग एवं समन्वय स्थापित करना है, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए), आईटीईआर संगठन, अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और जी20

40. जलवायु परिवर्तन शमन तथा अनुकूलन के मद्देनजर बुनियादी ढांचे में निवेश पर, विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में यूरोपीय निवेश बैंक (ईआईबी) के समर्थन सहित सहयोग में वृद्धि करना।

41. जलवायु अनुकूलन सहित आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर गठबंधन (सीडीआरआई) के लिए सहयोग का विकास करना।

42. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के लिए किगाली संशोधन के अनुसमर्थन तथा कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करना और भारत कूलिंग एक्शन प्लान के समर्थन में महत्वपूर्ण ऊर्जा खपत वाले क्षेत्रों जैसे कि हीटिंग, प्रशीतन एवं एयर कंडीशनिंग सिस्टम में उपयोग किए जाने वाले पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों हेतु एक सरल संक्रमण की सुविधा प्रदान करना।

पर्यावरण

43. पर्यावरण पर संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से पर्यावरण के मामलों पर और साथ ही साथ पर्यावरण फोरम पर कुशल और सर्कुलर अर्थव्यवस्था हेतु भारत के संक्रमण का समर्थन करने के लिए, वायु और जल प्रदूषण को संबोधित करने के लिए और प्लास्टिक और समुद्री कूड़े से निपटने हेतु अभिनव समाधान खोजने के लिए पर्यावरणीय मामलों पर सहयोग को मजबूत करना, तथा साथ ही आर्थिक विकास नीतियों में पर्यावरण संबंधी चिंताओं और समाधानों के एकीकरण को बढ़ावा देना।

44. जल एवं यूरोपीय संघ-भारत जल मंच के साथ-साथ भारत-यूरोपीय संघ जल भागीदारी (आई.ई.डब्ल्यू.पी.) के संदर्भ में जल संबंधी मामलों पर सहयोग को मजबूत करना। सुशासन और समन्वय के संयोजन, साथ ही साथ उपयुक्त रणनीति, तकनीकी दृष्टिकोण, अनुसंधान और नवाचार प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता को दर्शाते हुए विभिन्न प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में आई.ई.डब्ल्यू.पी. के लिए निरंतर समर्थन सुनिश्चित करना। जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में मानकों, सर्वोत्तम प्रथाओं के साझाकरण को सक्षम करने हेतु दोनों पक्षों के हितधारकों के बीच साझेदारी को बढ़ाना।

45. संवाद को मजबूत करना और ग्रीन बिजनेस, विशेष रूप से एसएमई के बीच सहभागिता तथा साझेदारी सहित संसाधन दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था पर भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी स्थापित करना। संसाधन दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था रणनीतियों में योगदान करना जारी रखा, कचरे के संग्रह, हैंडलिंग, प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग से संबंधित पहलुओं पर दिशानिर्देश तैयार करना। औपचारिक और अनौपचारिक दोनों अर्थव्यवस्थाओं में, विशेष रूप से अधिक रीसाइक्लिंग और संसाधन रिकवरी को बढ़ावा देकर, प्राकृतिक संसाधनों के कुशल व स्थायी उपयोग को बढ़ावा देने हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं के मानकीकरण और साझाकरण पर सहयोग बढ़ाना।

46. जलवायु परिवर्तन नीतियों के साथ जुड़ाव को अधिक बढ़ाते हुए वैश्विक जैव विविधता संकट को संबोधित करने में एक साथ काम करते हुए जैव विविधता पर कन्वेंशन के तहत मौजूदा जैव विविधता लक्ष्यों को लागू करने तथा 2021 में अंगीकार करने के लिए महत्वाकांक्षी नए वैश्विक जैव विविधता ढांचे को विकसित करना।

47. दोनों देशों के प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय कानूनों व नीतियों के अनुरूप मृदा जैव विविधता, टिकाऊ कृषि, और संरक्षण, टिकाऊ प्रबंधन और वनों के उपयोग के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना और अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।

48. पर्यावरण पर वैश्विक कार्रवाई को मजबूत करने के लिए बहुपक्षीय स्तर पर समन्वय स्थापित करना।

49. वायु गुणवत्ता के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना।

50. बॉन में जुलाई 2021 में केमिकल्स मैनेजमेंट पर पांचवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आई.सी.सी.एम.5) में साउंड केमिकल्स और अपशिष्ट प्रबंधन हेतु 2020 से परे एक महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय ढांचे की स्थापना के लिए एक साथ काम करना।

शहरी विकास

51. स्मार्ट एवं स्थायी शहरीकरण के लिए साझेदारी को आगे लागू करना, यानि स्मार्ट तथा स्थायी शहरों का समर्थन करना, स्थायी शहरीकरण में निवेश को बढ़ावा देना, शहरों में जलवायु कार्रवाई तथा आपदा जोखिम में कमी को बढ़ावा देना, प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और प्रशोधन विकसित करना और सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना, प्रभावी जल आपूर्ति और सीवेज सिस्टम और आवास में नवाचार का विकास करना।

52. ऑनलाइन भारत-यूरोपीय संघ के डैशबोर्ड के माध्यम से भारत में यूरोपीय संघ तथा सदस्य राज्यों द्वारा समर्थित शहरी परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सुविधा प्रदान करना।

53. जारी रखना, यूरोपीय निवेश बैंक (ईआईबी) द्वारा समर्थन समेत शहरी परिवहन के क्षेत्र में अतिरिक्त निवेश परियोजनाएं शुरू करना।

54. टिकाऊ गतिशीलता, सार्वजनिक खुली जगहों, सामाजिक तथा संगठनात्मक नवाचार और शहरी ई-गवर्नेंस पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में स्मार्ट शहरों का समर्थन करना जारी रखना, जैसे कि ईयू-एजेंस फ्रांसेइस डे डिवेलपमेंट स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट।

55. भारत की जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में योगदान देने हेतु स्थायी शहरी विकास पर भारतीय तथा यूरोपीय शहरों के बीच शहर-दर-शहर युग्म बनाने और सहयोग में वृद्धि, और शहरी सतत विकास, ऊर्जा दक्षता और जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में यूरोपीय संघ के शहरों के साथ अनुभव और क्षमता का आदान-प्रदान / हस्तांतरण।

56. स्मार्ट और टिकाऊ शहरीकरण पर साझेदारी में व्यवसायों की भागीदारी, साथ ही साथ भारतीय तथा यूरोपीय संघ के व्यवसायों के बीच साझेदारी, साझेदारों की पहचान करने, वित्तपोषण तक पहुंच, और भारतीय संदर्भों के लिए प्रौद्योगिकियों और व्यापार मॉडल को अपनाने में सहायता करना।

57. पहले भारत-यूरोपीय संघ शहरी फोरम और 2019 में शहरीकरण पर पहले संयुक्त कार्य समूह में चिन्हित की गई गतिविधियों को लागू करना, जिसमें स्मार्ट और सतत शहरी विकास हेतु तकनीकी समाधान, नीतियों और अभ्यास शामिल हैं।

सूचना व संचार तकनीक

58. एक खुले, मुक्त, स्थिर और सुरक्षित साइबरस्पेस को बढ़ावा देने तथा साइबर सुरक्षा पर सहयोग बढ़ाने के हमारे संयुक्त प्रयासों को जारी रखना।

59. सतत डिजिटल अवसंरचना, सेवाओं, मानदंडों और नियामक ढांचे पर भारत-यूरोपीय संघ के संयुक्त कार्यकारी समूह के तहत आईसीटी सहयोग जारी रखना, नेटवर्क की पारस्परिकता सुनिश्चित करना और अंतर्राष्ट्रीय मानकों को बढ़ावा देना।

60. उन्नत वायरलेस प्रौद्योगिकियों तथा उनके अनुप्रयोगों सहित उद्योग और समाज के डिजिटल परिवर्तन के लिए सामान्य दृष्टिकोण और मानकों को बढ़ावा देना।

61. उनके बीच सुरक्षित और सुदृढ़ सीमा पार डेटा प्रवाह की सुविधा हेतु संभव डेटा पर्याप्तता निर्णय के माध्यम से व्यक्तिगत डेटा और गोपनीयता के संरक्षण के उच्च स्तर को सुनिश्चित करने हेतु विनियामक फ्रेमवर्क के बीच अभिसरण को बढ़ाना।

62. उच्च प्रदर्शन और क्वांटम कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, एग्रीटेक, हेल्थटेक और ब्लॉकचैन जैसी नई तकनीकों के विकास पर तकनीकी और नियामक सहयोग को बढ़ावा देना।

63. भारतीय और यूरोपीय उद्योगों तथा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के बीच नवाचार एवं प्रौद्योगिकी परिनियोजन में सहयोग बढ़ाने का समर्थन करना।

परिवहन

64. जैसे ही परिस्थितियाँ सामान्य होंगी भारत-यूरोपीय संघ उड्डयन शिखर सम्मेलन का आयोजन होना है और सामान्य लक्ष्यों की पहचान करके और नागरिक उड्डयन में भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को बढ़ाने हेतु ठोस उपायों और कार्यों को लागू करके इसका निर्माण किया जाएगा।

65. जलवायु उद्देश्यों में योगदान करने हेतु इसकी क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने के उद्देश्य से रेलवे में भारत-यूरोपीय संघ के आदान-प्रदान को विकसित करने हेतु ठोस गतिविधियों को लागू करना, प्रभावी रेलवे के लिए मानकीकरण और विनियमन, डीकोर्बिलाइजेशन, डिजिटलाइजेशन पर ध्यान केंद्रित करना, जिसमें रेलवे की स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सामाजिक सामंजस्य तथा समावेश के लिए सिग्नलिंग और यातायात प्रबंधन, नवाचार, निवेश और रेलवे की भूमिका शामिल है।

66. स्थायी गतिशीलता पर सहयोग बढ़ाना, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग अवसंरचना की तैनाती भी शामिल है।

वाह्य अंतरिक्ष

67. भू-अवलोकन, उपग्रह नेविगेशन और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे विषयों पर सहयोग के अवसर समेत व्यापक अंतरिक्ष सहयोग के लिए एक कार्यकारी समूह स्थापित करना।

68. संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में अंतरिक्ष से संबंधित मामलों में सहयोग के अवसरों का अन्वेषण करना।

स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा

69. रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) पर सहयोग को बढ़ावा देना।

70. स्थायी खाद्य प्रणालियों को मजबूत करने हेतु सहयोग को बढ़ावा देना।

71. स्वास्थ्य सुरक्षा और महामारी संकट की तैयारी तथा ऐसी स्थिति में प्रतिक्रिया पर एक साथ मिलकर काम करना, विशेष रूप से कोविड-19 प्रकोप के संबंध में।

अनुसंधान तथा नवाचार

72. पारस्परिक लाभ तथा पारस्परिकता के सिद्धांतों के आधार पर अनुसंधान एवं नवाचार में सहयोग को और मजबूत करना, जैसा कि 2001 में भारत-यूरोपीय संघ समझौते के अनुसार स्थापित किया गया था, जो 17 मई 2020 को समाप्त हुआ था। दोनों पक्ष नवीकरण प्रक्रिया समय पर शुरू करने हेतु प्रतिबद्ध हैं और अनुसंधान एवं नवाचार पर मजबूत सहयोग के 20 साल को स्वीकृत करते हैं।

73. अच्छे सहयोग के आधार पर दोनों पक्ष अगले यूरोपीय संघ के अनुसंधान तथा नवाचार कार्यक्रम, 'क्षितिज यूरोप' (2021-2027), और भारत में समकक्ष अनुसंधान एवं नवाचार कार्यक्रमों और मिशनों के तहत सह-निवेश और सह-वित्त पोषण के आधार पर इसके पैमाने व प्रभाव को और व्यापक बनाने पर सहमत हुए। मिशन इनोवेशन और संसाधनों की दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था के अनुरूप जलवायु परिवर्तन तथा ऊर्जा पर भारत-यूरोपीय संघ के संवादों के समर्थन में पारस्परिक हित के क्षेत्रों में अधिक विशेष रूप से सहयोग किया जाएगा।

74. स्वास्थ्य तथा जैव-अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में साझेदारी को मजबूत करना। स्वास्थ्य के क्षेत्र में तंत्रिका विज्ञान एवं मस्तिष्क अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने और बहुपक्षीय मंचों के तहत सहयोग को मजबूत किया जाएगा, जैसे कि संक्रामक रोग की तैयारी के लिए वैश्विक अनुसंधान सहयोग (जीएलओपीआईडी-आर), ग्लोबल अलायंस फॉर क्रॉनिक डिजीज (जीएसीडी), और महामारी संबंधी तैयारियों के नवाचारों के गठबंधन (सीईपीआई)।

75. जैव अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग सर्कुलर जैव अर्थव्यवस्था, स्थायी फसल-कटाई प्रौद्योगिकी, अगली पीढ़ी के ईंधन, पशु जैव प्रौद्योगिकी, जलीय कृषि एवं समुद्री जैव प्रौद्योगिकी और बहुपक्षीय मंचों के तहत सहयोग को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित होगा, जैसे कि इंटरनेशनल बायोइकोनॉमी फोरम (आईबीएफ)।

76. संयुक्त अनुसंधान को भारत तथा यूरोप दोनों में प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (टीआरएल) और तैनाती को बढ़ावा देना।

77. दोनों पक्ष जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की बेहतर समझ के आधार पर भू-प्रणाली विज्ञान पर अनुसंधान और नवाचार में संलग्न होने के अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि करते हैं और आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग का और विस्तार करते हैं।

78. क्षितिज यूरोप और यूरोपीय संघ के भारत के विजिटिंग एडवांस्ड जॉइंट रिसर्च (वीएजेआरए) कार्यक्रम और इसी तरह की अन्य क्रियाओं के तहत मैरी स्कोलोडॉस्का-क्यूरी एक्टिविटीज़ (एमएससीए) में सहयोग को और मजबूत करना, जिससे पारस्परिक रणनीतिक हित के क्षेत्रों में यूरोप और भारत के बीच शोधकर्ताओं के दो-तरफ़ा संतुलित गतिशीलता और प्रशिक्षण की अनुमति मिलेगी।

79. सामाजिक विज्ञान तथा मानविकी पर सहयोग को बढ़ावा देना। इस हद क्षेत्र में, भारतीय सामाजिक विज्ञान एवं अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) और यूरोपीय आयोग के बीच एक कार्यान्वयन व्यवस्था के समापन किया जाना है। पक्ष ईसी-एसईआरबी कार्यान्वयन समझौते को जारी रखने हेतु सहमत हैं, जिससे भारतीय वैज्ञानिकों को यूरोप में कम समय के लिए ईआरसी टीमों के साथ जुड़ने की अनुमति मिलेगी।

80. भारत तथा यूरोपीय संघ इस बात से सहमत हैं कि लैंगिक समानता तथा महिलाओं का सशक्तिकरण सामाजिक-आर्थिक विकास एवं वैश्विक वैज्ञानिक क्षमता में वृद्धि हेतु आवश्यक है। दोनों पक्षों ने विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न स्तरों पर कार्य किए हैं। इसके लिए, वैज्ञानिक उत्कृष्टता प्राप्त करने हेतु अनुसंधान सामग्री में लिंग आयाम का एकीकरण आवश्यक है। संयुक्त अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान प्रयासों और सर्वोत्तम अभ्यासों के आदान-प्रदान से महिलाओं की पूर्ण आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक क्षमता को साकार करने में मदद मिलेगी।

81. संयुक्त पहल के माध्यम से भारत तथा यूरोपीय संघ में नवाचार की क्षमता का दोहन करने हेतु स्थायी पहल विकसित करना, जैसे कि भारत-यूरोपीय संघ नवाचार मंच (या संयुक्त केंद्र), नवप्रवर्तनकर्ताओं एवं स्टार्ट-अप्स के लिए सरल लैंडिंग उपाय, जिससे दोनों क्षेत्रों में सुविधा एवं धन के सृजन और जीवन की बेहतर गुणवत्ता का मार्ग प्रश्स्त होने की उम्मीद है।

82. परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास सहयोग पर भारत-ई.यू.आर.ए.टी.ओ.एम. समझौते को लागू करना।

83. आई.टी.ई.आर. परियोजना के फ्रेम में परमाणु संलयन पर सफल सहयोग की प्रतिबद्धता और इसे जारी रखना।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता

84. कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नीतियों को वैज्ञानिक समर्थन और नैतिकता सहित नियामक पहलुओं के बारे में ज्ञान तथा विशेषज्ञता को साझा करने हेतु साथ मिलकर काम करना, और अनुसंधान एवं नवाचार में संवाद को बढ़ावा देना।

वैश्विक शासन

प्रभावी बहुपक्षवाद

85. संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य बहुपक्षीय मंचों में सहयोग बढ़ाना। यूएन सुधार समेत बहुपक्षीय मुद्दों पर नियमित संवाद स्थापित करना।

कनेक्टिविटी

86. अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के आधार पर और सामाजिक, आर्थिक, राजकोषीय व पर्यावरणीय स्थिरता, साथ ही साथ पारदर्शिता, व्यवहार्यता, समावेशिता, सुशासन के प्रमुख मार्गदर्शक सिद्धांतों के पर आधारित कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना तथा आर्थिक ऑपरेटरों को समान स्तर प्राप्त हो यह सुनिश्चित करना। क्वालिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट (क्यूआईआई) के लिए जी20 स्वैच्छिक सिद्धांतों सहित स्थायी कनेक्टिविटी के पारस्परिक रूप से सहमत सिद्धांतों पर आधारित कनेक्टिविटी सहयोग को बढ़ाना।

87. भारत तथा यूरोपीय संघ के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने हेतु पहल का अन्वेषण करना और भारत-प्रशांत क्षेत्र सहित तीसरे देशों के साथ कनेक्टिविटी पर उनके सहयोग के बीच तालमेल की तलाश करना।

हिंद महासागर और प्रशांत क्षेत्र में सहयोग


88. स्वतंत्रता, खुलेपन और समुद्री क्षेत्र में एक समावेशी दृष्टिकोण को संरक्षित करने हेतु सहयोग करके, अंतरराष्ट्रीय कानूनों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून (यूएनसीएलओएस) के पूर्ण अनुपालन में, विशेष रूप से हिंद महासागर और प्रशांत क्षेत्र में, शांति, स्थिरता, सुरक्षा और कुशल बनाए रखने हेतु अभिसारिता को बढ़ावा देना और साथ मिलकर काम करना। अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार तथा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उल्लंघन के खतरे या उपयोग से बचने के साथ विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के महत्व को दोहराना। सतत विकास, समुद्री पारिस्थितिकी की सुरक्षा, प्लास्टिक कचरे और समुद्री मलबे को खत्म करने और कनेक्टिविटी व बुनियादी ढांचे के विकास हेतु वित्तीय रूप से व्यवहार्य मॉडल पेश करने के लिए हिंद महासागर और प्रशांत क्षेत्र में पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के लिए समुद्री पहलों पर साथ मिलकर काम करना।

वैश्विक आर्थिक शासन

89. विश्व व्यापार संगठन में वैश्विक व्यापार चुनौतियों को संबोधित करने हेतु संयुक्त रूप से, एक नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बनाए रखने तथा मजबूत करने के साझा उद्देश्य का निर्माण।

90. संयुक्त रूप से मजबूत एवं टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने, वैश्विक महत्व और आपसी हित के मुद्दों पर जी20 में सहयोग बढ़ाना; कर धोखाधड़ी, चोरी और परिहार से निपटने हेतु सहयोग; डिजिटल अर्थव्यवस्था के कराधान पर किसी समझौते पर पहुंचने हेतु अत्यधिक प्रयास करना।

91. जलवायु क्रिया के कार्यान्वयन की दिशा में निजी पूंजी को उन्मुख करने के महत्व को चिन्हित करते हुए, सार्वजनिक धन की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, जोखिम शमन उपकरणों सहित किफायती वित्तपोषण के लिए स्थायी संरचना बनाने के लिए विभिन्न वित्तीय साधनों के सम्मिश्रण और पहल हेतु समन्वय करना।

92. वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय रूप से स्थायी निवेशों के लिए निजी पूंजी के एकत्रीकरण को बढ़ाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सतत वित्त मंच (आईपीएसएफ) का विकास करना।

तीसरे देशों में विकास की साझेदारी

93. प्राथमिक भागीदार देशों में ठोस त्रिपक्षीय / सहयोग परियोजनाएं शुरू करना।

94. तीसरे देशों में विकास साझेदारी पर एक भारत-यूरोपीय संघ वार्षिक समीक्षा की स्थापना।

95. आपदा प्रतिरोधक संरचना (सीडीआरआई), कार्यशालाओं और सहायक कार्यों के लिए गठबंधन के साथ जुड़ने के अवसरों को चिन्हित करना।

महासागर अधिकार

96. द्विपक्षीय, क्षेत्रीय (क्षेत्रीय मत्स्य प्रबंधन संगठनों सहित) और बहुपक्षीय स्तरों पर मत्स्य पालन पर सहयोग बढ़ाना ताकि स्थायी प्रबंधन और जीवित समुद्री संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित हो सके।

97. एक सतत नीली अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देना, जिसमें स्थायी जलीय कृषि एवं अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से समुद्री स्थानिक योजना और एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन पर सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान शामिल है।

98. राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र (बीबीएनजे) से परे क्षेत्रों की समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण तथा स्थायी उपयोग पर यूएनसीएलओएस के तहत एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन का विकास।

99. विकासशील और कम विकसित देशों के लिए उपयुक्त एवं प्रभावी विशेष और विभेदक उपचार को मान्यता देते हुए, मत्स्य पालन सब्सिडी के कुछ प्रकारों पर रोक लगाने हेतु डब्ल्यूटीओ वार्ता में सहयोग करना, जो अधिक्षमता और ओवरफिशिंग को बढ़ाते हैं, और ऐसी सब्सिडी को समाप्त करना जो अवैध, बिना लाइसेंस और अनियमित (आईयूयू) मछली पकड़ने को बढ़ावा देती है, जो इन वार्ताओं का एक अभिन्न अंग होने चाहिए।

100. इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के बढ़ते महत्व को पहचानना।

लोगों से लोगों के बीच सहयोग

प्रवासन एवं गतिशीलता

101. छात्रों, शोधकर्ताओं, पेशेवरों और व्यावसायिक व्यक्तियों की गतिशीलता को बढ़ाकर, वापसी और पठन इस व्यापक दृष्टिकोण का हिस्से के साथ प्रवास और गतिशीलता पर सामान्य एजेंडा (सीएएमएम) पर संयुक्त घोषणा के पूर्ण कार्यान्वयन के माध्यम से प्रवास एवं गतिशीलता पर भारत-यूरोपीय संघ की व्यापक भागीदारी को आगे बढ़ाने हेतु प्रवासन और गतिशीलता पर उच्च स्तरीय संवाद (एचएलडीएमएम) के अनुवर्ती संभावनाओं की तलाश करना।

102. सभी चार घटकों पर सीएएमएम के तत्वावधान में संवाद, कार्यशालाओं तथा आदान-प्रदान को मजबूत करना: वीजा जारी करने सहित प्रासंगिक कौशल स्तरों पर नियमित प्रवास को बेहतर आयोजन तथा बढ़ावा देना और अच्छी तरह से प्रबंधित गतिशीलता को बढ़ावा देना; प्रवासन और गतिशीलता के विकास प्रभाव को बढ़ाना, जिसमें भारत तथा यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों के बीच सामाजिक सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग शामिल है; यूरोपीय संघ और भारत के संबंधित दायित्वों के अनुरूप अनियमित प्रवास और मानव में तस्करी को रोकना और अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण को बढ़ावा देना।

103. तीसरे देशों में कांसुलर संकट और संकट की तैयारियों तथा संकट प्रबंधन हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं पर, कांसुलर संकटों में सहयोग पर एक कार्य प्रणाली स्थापित करना।

104. भारत तथा यूरोपीय संघ में कौशल की उपलब्धता और श्रम बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, उनके बीच गतिशीलता को लागू करने के प्रयास को लागू प्रवास तथा गतिशीलता नियमों के अनुरूप करना।

रोजगार और सामाजिक नीति

105. हाल ही में (जून 2017) भारत द्वारा अनुमोदित आईएलओ कन्वेंशन 138 (न्यूनतम आयु कन्वेंशन) और 182 (बाल श्रम सम्मेलन का सबसे निकृष्टतम रूप) को लागू करने का समर्थन करके बाल श्रम के उन्मूलन पर सहयोग करना।

106. रोजगार और सामाजिक नीति जैसे व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम वेतन, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था, बाजार में महिला श्रम की भागीदारी और कार्य-जीवन संतुलन और क्षेत्रीय सहयोग के विभिन्न मुद्दों को शामिल करते हुए एक वार्षिक भारत-यूरोपीय संघ नीति वार्ता की स्थापना करना।

107. जी20 के भीतर अच्छे रोजगार सृजन, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर व्यापक सहयोग के लिए संभावनाओं का पता लगाना।

शिक्षा तथा संस्कृति

108. शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र में सफल सहयोग को आगे भी जारी रखना और इरास्मस+ के साथ-साथ इसके स्थान पर शुरु किए गए कार्यक्रम के तहत सहयोग को और मजबूत करना।

109. उच्च शिक्षा मेलों के माध्यम से और इरास्मस+ छात्र एवं पूर्व छात्र गठबंधन (आएसएए) के माध्यम से भारत और यूरोपीय संघ में अध्ययन तथा छात्रवृत्ति के अवसरों के बारे में जागरूकता में सुधार करना।

110. एसपीएआरसी, डीयूओ भारत और अन्य पहलों में यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों की करीबी भागीदारी के माध्यम से छात्रों तथा शैक्षणिक कर्मचारियों की संतुलित गतिशीलता को बढ़ावा देना।

111. सांस्कृतिक और रचनात्मक क्षेत्रों में, विशेष रूप से प्रकाशन तथा मुद्रण, वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत क्षेत्रों में सहयोग को फिर से शुरु करना, जिसमें अनुसंधान और नवाचारों के साथ-साथ कलाकारों को आदान-प्रदान और सांस्कृतिक सह-निर्माण शामिल हैं।

112. सांस्कृतिक कूटनीति के क्षेत्र में सहयोग जारी रखना।

संसदों, सिविल सोसायटी और स्थानीय / विकेंद्रीकृत प्राधिकरण

115. वार्षिक यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन, मंत्रिस्तरीय बैठकों और नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान के माध्यम से प्रभावी उच्च-स्तरीय सहयोग सुनिश्चित करना।

116. संयुक्त सामरिक भागीदारी और कार्रवाई एजेंडा (रोडमैप 2025) के कार्यान्वयन को संचालित तथा समन्वित करने हेतु रणनीतिक एमईए / उप महासचिव ईईएएस के स्तर पर सामरिक भागीदारी की समीक्षा की वार्षिक बैठकों के अभ्यास को समेकित करना।

117. दोनों पक्षों के युवा राजनयिकों को लक्षित कर भारतीय और यूरोपीय संघ के संस्थानों के लिए अध्ययन पर्यटन को बढ़ावा देने के माध्यम से रणनीतिक साझेदारी की स्थिरता को मजबूत करना।

118. नियोजित नीतिगत संवादों के क्षेत्रों में प्राथमिक एक्सचेंजों के लिए यूरोपीय संघ की नीति संवाद सहायता सुविधा का उपयोग करना।

यह भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी: 2025 के लिए रोडमैप किसी वित्तीय प्रतिबद्धताओं और घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत कानूनी रूप से बाध्यकारी अधिकारों या दायित्वों का निर्माण नहीं करता है।

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