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15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन (15 जुलाई, 2020) का संयुक्त वक्तव्य

जुलाई 15, 2020

भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच 15वां शिखर सम्मेलन 15 जुलाई 2020 को वर्चुअल प्रारूप में आयोजित किया गया था। भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष श्री चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष सुश्री उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने किया था।

नेताओं ने भारत और यूरोपीय संघ में लोगों तक ठोस लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लोकतंत्र, स्वतंत्रता, कानून के शासन, तथा मानव अधिकारों के लिए सम्मान के साझा सिद्धांतों एवं मूल्यों के आधार पर भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का निर्णय लिया। आज की जटिल दुनिया में, उन्होंने दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में, प्रभावी बहुपक्षवाद तथा संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के साथ एक नियम-आधारित बहुपक्षीय क्रम को बढ़ावा देने के लिए अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि की। वे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने, वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए तैयारियों एवं प्रतिक्रिया को मजबूत बनाने, वैश्विक आर्थिक स्थिरता और समावेशी विकास को बढ़ाने, सतत विकास लक्ष्यों को लागू करने तथा जलवायु एवं पर्यावरण की रक्षा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने सहयोग को बढ़ावा देंगे। इस संदर्भ में, यूरोपीय संघ 2022 में भारत की जी20 की अध्यक्षता और 2021-2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसकी सदस्यता की उम्मीद कर रहा है।

जैसा कि दुनिया कोविड-19 महामारी से लड़ रही है, नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि जीवन की रक्षा और महामारी के सामाजिक-आर्थिक परिणामों को कम करने के लिए वैश्विक सहयोग और एकजुटता आवश्यक है। वर्तमान वैश्विक प्रतिक्रियाओं से सबक लेते हुए, नेताओं ने अपनी तैयारियों और प्रतिक्रिया क्षमताओं को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया, साथ ही सूचनाओं को स्वतंत्र, पारदर्शी और त्वरित तरीके से साझा करने, एवं संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, जैसे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने पर बल दिया।

नेताओं ने दवाइयों एवं टीकों के उत्पादन, स्वास्थ्य देखभाल अनुसंधान तथा विकास, निदान और उपचार में साझा क्षमता, अनुभव और दृढ़ता के ज़रिये स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आपसी तालमेल का उल्लेख किया। उन्होंने प्रभावी निदान, उपचार और टीकों के विकास, प्रसार एवं पहुंच तथा सस्ती कीमत पर उन्हें सभी के लिए उपलब्ध कराने के लिए सतत वित्त पोषण एवं वैश्विक सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने भविष्य के कोविड-19 वैक्सीन को वैश्विक सामान्य वस्तु बनाने का आह्वान किया। वे विशेष रूप से कोविड-19 महामारी से जुड़े स्वास्थ्य सुरक्षा और महामारी संकट की तैयारी व प्रतिक्रिया पर भारत तथा यूरोपीय संघ के बीच सहयोग को तेज करने पर सहमत हुए। उन्होंने महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्तियों के विनिर्माण और इनकी आपूर्ति, कृषि उत्पादों, कच्चे माल और सीमापार की अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए सहयोग बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया।

नेताओं ने अपने व्यापार एवं निवेश संबंधों को और विकसित करने पर सहमति व्यक्त की, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद के आर्थिक सुधार के संदर्भ में अपनी पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने तथा दोनों तरफ स्थायी विकास और नौकरियों में सहयोग के लिए। उन्होंने संतुलित, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापार एवं निवेश समझौतों, बाजारों को खोलने तथा दोनों तरफ समानस्तरीय क्षेत्र बनाने के लिए काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई। वे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को मार्गदर्शन प्रदान करने तथा पारस्परिक हित के बहुपक्षीय मुद्दों को हल करने के लिए मंत्री स्तर पर नियमित तौर पर उच्चस्तरीय संवाद स्थापित करने पर भी सहमत हुए। उच्चस्तरीय संवाद का उद्देश्य व्यापार और निवेश समझौतों पर प्रगति को बढ़ावा देना, व्यापार की अड़चन को संबोधित करना तथा व्यापारियों एवं निवेशकों के लिए स्थितियों में सुधार करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला लिंकेज पर चर्चा करना होगा। भारत और यूरोपीय संघ विश्व व्यापार संगठन को एक नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के आधार के रूप में रखते हुए विश्व व्यापार संगठन के संरक्षण, सुदृढ़ीकरण और सुधार के लिए सहयोग बढ़ाने तथा वैश्विक व्यापार प्रणाली को खुला रखने के लिए सहमत हुए। उनके सहयोग को कोविड-19 सहित आज की चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संबोधित करना चाहिए, जिसका उद्देश्य एक स्थायी, सामाजिक रूप से न्यायसंगत और संसाधन-कुशल अर्थव्यवस्था का निर्माण हो। इस संबंध में वे बारहवें विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को ठोस परिणाम देने में सफल बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे। नेताओं ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के समर्थन के लिए जी20 कार्य योजना का स्वागत किया और सबसे कमजोर देशों की सहायता करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। भारत और यूरोपीय संघ, विशेष रूप से जी20 के ढांचे में, वैश्विक आर्थिक प्रशासन पर समन्वय को बढ़ाएंगे। वे जी20 सहित ऋण स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक साथ काम करना जारी रखेंगे।

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट की पीढ़ीवादी चुनौती से निपटने के लिए दृढ़ और समन्वित कार्रवाई महत्वपूर्ण है। नेताओं ने पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसमें इस समझौते के अनुरूप राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान शामिल हैं। यूरोपीय संघ ने अपनी दीर्घकालिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विकास रणनीति को प्रस्तुत करने के बारे में बताया और भारत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित की गई अपनी रणनीति प्रस्तुत करने का प्रयास करेगा। नेताओं ने स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु भागीदारी के तहत भारत और यूरोपीय संघ के बीच चल रहे सहयोग का स्वागत किया। भारत और यूरोपीय संघ 2023 में वैश्विक स्टॉकटेक में रचनात्मक रूप से संलग्न होंगे, जिसके परिणाम पेरिस समझौते के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीय रूप से निर्धारित तरीके से अद्यतन को सूचित करेंगे। भारत और यूरोपीय संघ सौर ऊर्जा के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) तथा पर्यावरणीय रूप से स्थायी निवेश की दिशा में निजी पूंजी जुटाने के लिए इंटरनेशनल फोरम ऑन सस्टेनेबल फाइनेंस (आईपीएसएफ) में अपने सहयोग को सुदृढ़ करेंगे। यूरोपीय संघ भारत द्वारा शुरू की गई आपदारोधी आधारभूत संरचना गठबंधन (CDRI) के साथ सहयोग करने के लिए तत्पर है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अवसंरचनाएं जलवायु परिवर्तन को लेकर लचीली हैं। यूएन क्लाइमेट समिट 2019 में लॉन्च किया गया लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांज़िशन, जलवायु संकट से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने जैव विविधता की रक्षा के लिए 2020 के पश्चात के एक महत्वाकांक्षी वैश्विक ढांचे को विकसित करने में मिलकर काम करने पर भी सहमति व्यक्त की जिसे 2021 के संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन में अपनाया जाना है। उच्चस्तरीय वार्ता इन मुद्दों पर आपसी समझ और एक सामान्य दृष्टिकोण की परिभाषा का समर्थन करेगा। नेताओं ने 2021 में बॉन में होने वाले रासायनिक प्रबंधन पर पांचवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विचार करने के लिए 2020 से परे एक अंतरराष्ट्रीय रासायनिक और अपशिष्ट प्रबंधन ढांचे के लिए एक महत्वाकांक्षी जनादेश का समर्थन किया। भारत और यूरोपीय संघ स्थायी आधुनिकीकरण के समर्थन में अपनी

साझेदारी को बढ़ाएंगे। वे व्यापार के नए अवसरों को खोलते हुए स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण, संसाधन दक्षता और वृत्ताकार अर्थव्यवस्था तथा आवश्यक तकनीकी उछाल का समर्थन करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देंगे। भारत और यूरोपीय संघ स्मार्ट और स्थायी शहरीकरण, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, परिवहन, अंतरिक्ष और स्वास्थ्य सुरक्षा पर सहयोग विकसित करेंगे। वे जल मुद्दों, वायु प्रदूषण, प्लास्टिक और समुद्री कूड़े से संयुक्त रूप से निपटने के लिए सहमत हुए। इन क्षेत्रों में प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए अनुसंधान और नवाचार पर आदान-प्रदान बढ़ाया जाएगा। नेताओं ने आईटीईआर परियोजना के भीतर निरंतर मिश्रित अनुसंधान सहयोग का स्वागत किया।

नेताओं ने समावेशी अर्थव्यवस्थाओं और समाजों को विकसित करने के लिए मानव-केंद्रित डिजिटलीकरण का उपयोग करने के तरीकों पर चर्चा की। वे व्यक्तिगत डेटा और गोपनीयता की सुरक्षा के उच्च स्तर को सुनिश्चित करने के लिए अपने नियामक ढांचे के बीच मेल-जोल बढ़ाने पर सहमत हुए, जिसमें संभव डेटा पर्याप्तता निर्णय भी शामिल थे, ताकि उनके बीच सुरक्षित सीमापारीय डेटा प्रवाह को सुविधाजनक बनाया जा सके। भारत और यूरोपीय संघ प्रौद्योगिकी पर अपने संवाद और सहयोग को और उन्नत करेंगे। वे वैश्विक मानकों को बढ़ावा देने तथा अपने सुरक्षित एवं नैतिक प्रसार को बढ़ावा देने के लिए 5जी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में सहभागी होंगे।

नेताओं ने संयुक्त रूप से पारदर्शी, व्यवहार्य, समावेशी, टिकाऊ, व्यापक और नियम आधारित कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि परियोजनाएं पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक रूप से टिकाऊ हैं तथा व्यवसायों के लिए एक समानस्तरीय क्षेत्र प्रदान करती हैं। इस संबंध में उन्होंने क्वालिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट के लिए जी20 के सिद्धांतों और सतत वित्तपोषण के लिए जी20 के ऑपरेशनल गाइडलाइंस को दोहराया। वे भारत और यूरोपीय संघ के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने तथा भारत-प्रशांत क्षेत्र सहित तीसरे देशों के साथ कनेक्टिविटी पर उनके सहयोग के बीच तालमेल की तलाश में एक संभावित भावी व्यापक कनेक्टिविटी साझेदारी सहित कई ठोस पहलों का पता लगाने पर भी सहमत हुए। उन्होंने यूरोपीय निवेश बैंक की भारत में चल रही गतिविधि तथा पुणे एवं भोपाल मेट्रो रेल परियोजनाओं में 550 मिलियन यूरो के आगामी नियोजित निवेश का स्वागत किया। भारत और यूरोपीय संघ निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका और स्थायी निजी वित्तपोषण को प्रोत्साहित करने के महत्व को पहचानते हैं।

उन्होंने वैश्विक शांति और सुरक्षा, निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार तथा आतंकवाद का इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में विरोध करने, इसके वित्तपोषण और कट्टरपंथीकरण का मुकाबला करने को लेकर अपनी मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि की। भारत और यूरोपीय संघ इस संबंध में आदान-प्रदान और सहयोग तेज करेंगे। नेतागण सुरक्षा और रक्षा के मामले में समुद्री सुरक्षा एवं परामर्श पर एक संवाद शुरू करने तथा नौसैनिक सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हुए। उन्होंने हिंद महासागर में सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने संगठित अपराध एवं आतंकवाद को रोकने और उनसे मुकाबला करने में भारत और यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों के कानून प्रवर्तन अधिकारियों का सहयोग करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो और यूरोपोल के बीच एक कार्य व्यवस्था पर बातचीत के शुभारंभ का स्वागत किया। उन्होंने एक खुले, मुक्त, स्थिर और सुरक्षित साइबरस्पेस के लिए अपने पूर्ण समर्थन तथा साइबरस्पेस के सभी खिलाड़ियों के जिम्मेदार और उत्तरदायी व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र सहित वैश्विक साइबर सुदृढ़ता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। भारत और यूरोपीय संघ ईरान और अफगानिस्तान सहित आम हित के अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग करना जारी रखेंगे।

भारत और यूरोपीय संघ ने मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, जिसमें जीवन के सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण के साथ-साथ उनके सहयोग से जुड़ा महत्त्व शामिल हैं। इस संबंध में, वे नई दिल्ली में आयोजित होने वाली अपनी बातचीत के अगले सत्र के लिए तत्पर रहे और अंतर्राष्ट्रीय मंचों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र महासभा एवं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बातचीत को बढ़ाने का समर्थन किया।

नेताओं ने प्रवासन और गतिशीलता (CAMM) पर साझा एजेंडा के संयुक्त घोषणापत्र के कार्यान्वयन के एक भाग के रूप में लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान का स्वागत किया जिनमें छात्रों, शोधकर्ताओं, पेशेवरों, व्यावसायिक व्यक्तियों और पर्यटकों को शामिल किया गया है। उन्होंने लागू प्रवासन एवं गतिशीलता नियमों के अनुरूप दोनों दिशाओं में लोगों की आवाजाही को व्यवस्थित करने के लिए प्रवासन और गतिशीलता पर उच्चस्तरीय संवाद (HLDMM) के तहत प्रगति पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने भारत और यूरोपीय संघ के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शैक्षिक सहयोग को भी प्रोत्साहित किया।

नेताओं ने अगले पांच वर्षों में भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोग का मार्गदर्शन करने के लिए "भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी: 2025 के लिए रोडमैप" को अपनाया। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के उपयोग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से अनुसंधान और विकास सहयोग पर भारत-यूराटोम समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। उन्होंने संसाधन दक्षता और परिपत्र अर्थव्यवस्था पर एक संयुक्त घोषणापत्र को भी अपनाया और अगले पांच वर्षों के लिए भारत-यूरोपीय संघ विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते के आगामी नवीनीकरण का स्वागत किया। वे 2021 में 16वें भारत-ईयू शिखर सम्मेलन के लिए पुन: संयोजन करने पर सहमत हुए।

नई दिल्ली
15 जुलाई, 2020

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