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संयुक्त वक्तव्य- पहली भारत-जापान 2 +2 विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक

नवम्बर 30, 2019

1. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने जापान के विदेश मंत्री श्री मोटेगी तोशिमित्सु और जापान के रक्षा मंत्री श्री कोनो तारो से 30 नवंबर 2019 को नई दिल्ली में भारत-जापान 2+2 विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक में पहली बार मुलाकात की।

2. मंत्रियों ने इस बात की पुष्टि की कि इस वार्ता से द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग की सामरिकव्‍यापकता में वृद्धि होगी और बढ़ेगी। उदीयमानसुरक्षा चुनौतियों को स्वीकार करते हुए मंत्रियों ने सुरक्षा सहयोग पर 2008संयुक्त घोषणा और सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए 2009कार्य योजना के आधार पर द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह स्‍मरणकरते हुए कि दोनों पक्षों के बीच एक स्वतंत्र, मुक्‍त, समावेशी और नियम आधारित भारत-प्रशांत क्षेत्र का साझा दृष्टिकोण था, जिसमें संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतोंको सुनिश्चित किया जाता है, और सभी देशों को नौवहन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता मिलती है।मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि द्विपक्षीय सहयोग को और सुदृढ़करना दोनों देशों के आपसी हित में है और इससे भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि के कारकोंको आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

द्विपक्षीयसहयोग

3. मंत्रियों ने विगत वर्ष द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को सुदृढ़करने में हुई प्रगति का स्वागत किया । मंत्रियों ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि विगतवर्ष से भारत और जापान ने अपने रक्षा बलों के तीनों कारकोंके बीच द्विपक्षीय अभ्यास शुरू किए हैं। मंत्रियों ने रक्षा बलों के बीच द्विपक्षीय अभ्यासों को नियमित रूप से आयोजित करने और इसके आगे विस्तार करने के लिए निरंतर प्रयास करने के विचार को साझा किया । इस संबंध में मंत्रियों ने हाल ही में आयोजित द्वितीय "धर्म अभिभावक-2019" और दूसरा "शिनयू मैत्री-2019" का स्वागत किया। मंत्रियों ने जापान में पहले भारत-जापान संयुक्त लड़ाकू विमान अभ्यास के लिए समन्वय करनेपर भी सहमति जताई।

4. मंत्रियों ने अक्टूबर 2018 में वार्ता शुरू करने की घोषणा के बाद से अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते (एसीएसए) की वार्ताओं में की गई महत्वपूर्ण प्रगति का स्वागत किया। मंत्रियों ने वार्ताओं को शीघ्र समाप्त करने की इच्छा व्यक्त की और उनका मानना था कि यह समझौता दोनों पक्षों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने में और योगदान देगा।

5. स्वतंत्र, मुक्‍त, समावेशी और नियम आधारित भारत-प्रशांत की प्राप्‍ति को प्राप्त करने में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व को स्वीकार करते हुए मंत्रियों ने समुद्री सुरक्षा और समुद्री अधिकार-क्षेत्रजागरूकता मेंअन्य देशों के साथ सहयोग के माध्यम से क्षमता निर्माण के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की मंशा व्यक्त की।इस संदर्भ में मंत्रियों ने दिसंबर 2018 में भारत द्वारा सूचना संलयन केंद्र - हिंद महासागर क्षेत्र (आईएफसी-आईओआर) की स्थापना का स्वागत किया। भारत की ओर से निकट भविष्य में आईएफसी-आईओआर में संपर्क अधिकारी को जापानभेजने पर विचार किया। मंत्रियों ने जापान समुद्री आत्मरक्षा बल और भारतीय नौसेना के बीच गहनसहयोग के लिए कार्यान्वयन व्यवस्था के आधार पर सूचनाओं के आदान-प्रदान की शुभारंभपर संतोष व्यक्त किया।

6. मंत्रियों ने रक्षा उपकरणोंऔर प्रौद्योगिकी सहयोग को और सुदृढ़करने की आवश्यकता पर बल दिया और रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी सहयोग (जेडब्ल्यूजी-डीईटीसी) पर पांचवें संयुक्त कार्य दल में सार्थक चर्चा रूप दिया। इस संदर्भ में मंत्रियों ने मानवरहित ग्राउंड व्हीकल (यूजीवी)/रोबोटिक्स के क्षेत्र में सहकारी अनुसंधान पर प्रगति का स्वागत किया।

7. मंत्रियों ने दोनों देशों के रक्षा शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों के बीच वर्तमानविनिमय कार्यक्रमों की सराहना की और आदान-प्रदान कार्यक्रमों को जारी रखने और विस्तारित करने की इच्छा व्यक्त की ।

बहुपक्षीय सहयोग


8. नवंबर 2018 और जून 2019 में जापान-भारत-अमेरिका शिखर बैठकों का स्‍मरण करते हुए मंत्रियों ने अमेरिका के साथ त्रिपक्षीय सहयोग को स्वीकार किया। मंत्रियों ने जापान के तट पर सितंबर-अक्टूबर 2019 से आयोजित "मालाबार 2019" द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए त्रिपक्षीय सहयोग, जुलाई 2019 में जापान में आयोजित खान-प्रतिउपाय अभ्यास (MINEX) और "कोप इंडिया 2018" पर संतोष व्यक्त किया जिसमें जापान नेदिसंबर 2018 में पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया।

9. मंत्रियों ने सितंबर 2019 में न्यूयॉर्क में हाल ही में जापान-भारत-ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका विदेश मंत्रिस्तरीय परामर्श का स्वागत किया।

क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामले

10. मंत्रियों ने विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर पारस्परिक हितों के क्षेत्रीय मुद्दों पर मंतव्‍योंका स्पष्ट और उपयोगी आदान-प्रदान किया।

11. मंत्रियों ने आसियान केंद्रीयता और भारत-प्रशांत की शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एकता का समर्थन करने के महत्व की पुष्टि की । मंत्रियों ने जून 2019में थाईलैंड में 34वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान "आसियान आउटलुक ऑन द इंडो-पैसिफिक (एओआईपी) के अंगीकरण का स्वागत किया। मंत्रियों ने अपने साझा उद्देश्यों कीप्राप्ति के लिए आसियान के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। मंत्रियों ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (आइएएस), आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) और आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (एडीएमएम-प्लस) जैसे आसियान के नेतृत्व वालीसंरचनाके लिए भी अपना समर्थन दोहराया।

12. जापान की ओर से हाल ही में 14वें ईएएस में "इंडो-पैसिफिक ओशियन इनिशिएटिव" की भारत की घोषणा की सराहना की गई ताकि एक सुरक्षित, स्थिर, समृद्ध और टिकाऊ समुद्री अधिकार क्षेत्र बनाया जा सके और ठोस पहल परसहयोग आधारित चर्चा करने की इच्छा की पुष्टि की। मंत्रियों ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि भारत और जापान की एक स्वतंत्र और मुक्‍तहिंद-प्रशांत को साकार करने की पहल, जिसमें हाल ही में "इंडो-पैसिफिक ओशियन इनिशिएटिव" और एओआईपी सभी एक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रयासरत हैं जो समावेशी है और इस क्षेत्र के सभीदेशोंके लिए खुला है। भारतीय पक्ष ने नवंबर 2019 में जापान और आसियान के बीच रक्षा सहयोग के लिए एक अद्यतन पहल के रूप में जापान के "वियनतियाने विजन 2.0" का स्वागत किया।

13. मंत्रियों ने उत्तर कोरिया के सामूहिक विनाश के सभी हथियारों और सभी रेंजकी बैलिस्टिक मिसाइलों को प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्‍पोंके अनुसार नष्‍टकरने के महत्व की पुष्टि की (यूएनएससीआरएस) और संबंधित यूएनएससीआरएस के पूर्ण कार्यान्वयन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। मंत्रियों ने उत्तर कोरिया द्वारा बैलिस्टिक मिसाइलों के हालिया प्रक्षेपणकी निंदा की जो संबंधित यूएनएससीआरएस का स्पष्ट उल्लंघन है । मंत्रियों ने उत्तर कोरिया से अपहरण के मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने का पुरजोर आग्रह किया।

14. मंत्रियों ने दक्षिण चीन सागर में हाल की घटनाओं पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जिसमें 14वें ईएएस के अध्यक्ष के बयान को भी ध्यान में रखा गया है । इस संदर्भ में मंत्रियों ने सार्वभौमिक मान्यता के अनुसार कानूनी और कूटनीतिक प्रक्रियाओं के लिए पूरे सम्मान के साथ नौवहन और उड़ान मेंअधिक स्वतंत्रता, निर्बाध वैध वाणिज्य और अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांत, जिनमें समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) में परिलक्षित होते हैं, से संबंधित विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के महत्व की पुष्टि की । मंत्रियों ने आचार संहिता (सीओसी) की वार्ताओं पर भी ध्यान दिया और आग्रह किया कि यह यूएनसीएलओएस सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप प्रभावी, ठोस और सुसंगत होना चाहिए, नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना चाहिए और अधिकारों और हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालना चाहिए।

15. मंत्रियों ने आतंकवाद के बढ़ते खतरे की कड़े शब्दों में निंदा की और स्वीकार किया कि इसक्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है । मंत्रियों ने सभी देशों से आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाहों और बुनियादी संरचनाको समाप्त करने, आतंकवादी नेटवर्कों को बाधित करने और वित्तपोषण चैनलों को समाप्त करने और आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही को विराम देने में दृढ़ कार्रवाई करने का आह्वान किया। मंत्रियों ने सभी देशों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया कि उनके नियंत्रण वाले सभी क्षेत्र का उपयोग किसी भी प्रकार से अन्य देशों पर आतंकवादी हमले शुरू करने के लिए न किया जाए। उन्होंने इस संदर्भ में पाकिस्तान से बाहर सक्रिय आतंकवादी नेटवर्कों द्वारा क्षेत्रीय सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न खतरे का उल्लेख किया और इसमें उनके विरुद्ध दृढ़ और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करने और एफएटीएफ सहित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से अनुपालन करने का आह्वान किया। मंत्रियों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने में आसूचना और जानकारी के सहभाजन की सुदृढ़ अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया।

16. मंत्रियों ने इस 2 + 2 मंत्रिस्तरीय बैठक की सफलता के आलोक में विचारों के आदान-प्रदान को जारी रखने के महत्व कोसाझा कियाऔर टोक्यो में अगली 2 + 2 मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया।

नई दिल्ली
30 नवम्बर, 2019

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