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जर्मनी के चांसलर की भारत यात्रा के दौरान संयुक्त वक्तव्य (31 अक्तूबर, 2019)

नवम्बर 01, 2019

1. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर, जर्मन संघीय चांसलर डॉ एंजेला मार्केल ने अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के पांचवें दौर के लिए31 अक्टूबर से 1 नवंबर 2019 तक भारत की यात्रा की। चांसलर मर्केल के साथ विदेश, विज्ञान और शिक्षा,खाद्य और कृषि मंत्री भी थे। जर्मन कंपनियों के नेताओं के साथ एक व्यापार प्रतिनिधिमंडल भी चांसलर मर्केल के साथ था। यात्रा के दौरान चांसलर मर्केल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठकें कीं।

2. चांसलर मर्केल और प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया कि भारत-जर्मन सामरिक भागीदारी लोकतंत्र,स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यापार और नियमों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के साथ-साथ आपसी विश्वास और सम्मान के समान मूल्यों और सिद्धांतों पर आधारित है। चर्चा में प्रमुख मुद्दों में संयुक्त रूप से नवाचार और सीमांत प्रौद्योगिकियों,विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धि के माध्यम से डिजिटल परिवर्तन ड्राइविंग,जलवायु परिवर्तन पर सहयोग करके आर्थिक विकास को टिकाऊ बनाने,शामिल कुशल श्रमिकों के लिए कानूनी गतिशीलता के माध्यम से लोगों से लोगों के संपर्क के लिए सुकर करना,और बहुपक्षीय संस्थानों को मजबूत बनाने और अद्यतन करके एक विश्वसनीय अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में योगदान करना शामिल थे।

I. कृत्रिम बुद्धि और डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाना

3. यह स्वीकार करते हुए कि एआई विश्‍व के जन-जीवन और आने वाले वर्षों में काम करने के तरीके को मौलिक रूप से प्रभावित करेगा,दोनों पक्षों की एआई प्रौद्योगिकियों पर सहयोग को बढ़ावा देने,प्रोत्साहित करने और विकसित करने और इस तरह नवाचार और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक साथ काम करने की मंशा है।

4. दोनों पक्षों ने भावी पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों पर सहयोग की दिशा में नियमित रूप से बातचीत और समन्वय को तेज करने के लिए डिजिटल भागीदारी के निर्माण के महत्व की पुन पुष्टि की। भारत और जर्मनी सामाजिक लाभ के लिए आईओटीऔर एआई समाधान विकसित करने में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बढ़ते एकीकरण को मान्यता देते हुए प्रत्येक पक्ष की एक सहयोगी भागीदारी के निर्माण करने की मंशा है।

5. दोनों पक्षों ने एआई पर अपनी देश की रणनीतियों को तैयार किया है और अनुसंधान और नवाचार के साथ-साथ सामान्य रूप से समाज पर इसकी क्षमता को मान्यता दी है। स्वास्थ्य,गतिशीलता,पर्यावरण और कृषि जैसे फोकस क्षेत्रों में संभावित सहयोग हमारे तुलनात्मक लाभों पर सहयोग और निर्माण को बढ़ाने के लिए अपार अवसर प्रदान करते हैं। जर्मनी और भारत की विशेष रूप से विशेषज्ञता और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके एआई में बहु-विषयक अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देकर और अधिक सहयोग करने की मंशा है। जर्मन संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग,भारत-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र के माध्यम से, 2020में बर्लिन में एक द्विपक्षीय कार्यशाला का आयोजन करने के लिए आपसी हित के क्षेत्रों की पहचान करने पर सहमत हुए।

6. यह स्वीकार करते हुए कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग लंबे समय से अत्याधुनिक अनुसंधान परियोजनाओं की एक प्रमुख विशेषता रहा है,जर्मनी और भारत संयुक्त द्विपक्षीय और/या बहुपक्षीय अनुसंधान और विकास गतिविधियों का संचालन करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए। इसमें जर्मन और भारतीय कंपनियों के बीच सहयोग भी शामिल है जो समान वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा हैं। दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य के लिए एआई के क्षेत्र में भारत-जर्मन सहयोग बढ़ाने के अनूठे अवसर पर जोर दिया। उन्होंने सितंबर2019 में बर्लिन में पहली हिस्सेदारी बैठक का स्वागत किया और भारत में ऐसी एक और बैठक को सुकर करने पर सहमति व्यक्त की।

7. दोनों नेताओं ने दक्षता बढ़ाने और संसाधनों को बचाने के साथ-साथ खाद्य घाटे और कचरे को कम करने के उद्देश्य से सटीक खेती जैसे कृषि में एआई सहयोग का स्वागत किया । इसके अतिरिक्त,दोनों कृषि मंत्रालयों का उद्देश्य एआई अनुप्रयोगों के लिए खुले प्रशिक्षण डेटा सेट स्थापित करना है जो कानूनी मुद्दों का भी समाधान करते हैं । दोनों पक्षों ने नीति आयोग और जर्मन कंपनियों के साथ30सितंबर 2019 को गोलमेज सम्मेलन का स्वागत किया,जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए भारत में कृषि में डिजिटल प्रौद्योगिकियों और एआई के अनुप्रयोग और अपस्केलिंग के अवसरों की तलाश की गई। जर्मनी और भारत एक संयुक्त कार्यशाला के माध्यम से कार्यस्थल में एआई को अपनाने से उत्पन्न जटिलताओं और अर्थव्यवस्था और समाज पर इसके प्रभाव पर शोध साझा करने पर सहमत हैं।

8. जर्मनी और भारत डिजिटल क्षेत्र में व्यापार सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं। इसलिए जर्मन और भारतीय डिजिटल कंपनियां एक दूसरे के देशों में बाजार के अवसर और द्विपक्षीय निवेश के दायरे को और बढ़ाने और उनके संपन्न तकनीकी पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच अधिक से अधिक संबंध बनाने की दिशा में काम करेंगी।

9. जर्मनी और भारत ने डिजिटलीकरण - सशक्तिकरण और आर्थिक प्रभाव के क्षेत्र में संयुक्त घोषणा का स्‍मरण किया - बर्लिन में30 मई 2017 को हस्ताक्षर किए गए और इस डिजिटल वार्ता को व्यापक बनाने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने आपसी सहयोग के लिए क्षेत्रों की पहचान करने और भविष्य के लिए सिफारिशें देने के लिए अनुसंधान संस्थानों और निजी उद्यमों के प्रतिनिधियों के साथ एक "डिजिटल विशेषज्ञ समूह" स्थापित करने के लिए भारतीय और जर्मन व्यापार की पहल का स्वागत किया। दोनों पक्षों द्वारा संयुक्त रूप से विचार की जाने वाली नीतिगत पहलों पर विचार किया जाएगा।

10. दोनों पक्ष जर्मन प्लेटफार्म उद्योग 4.0 और आगामी सीआईआई स्मार्ट विनिर्माण मंच के बीच संबंध बनाने पर सहमत हुए जिसमें मानकीकरण,नेटवर्क्ड सिस्टम में आईटी-सुरक्षा, परीक्षण और उपयोग सहित सूचना के आदान-प्रदान शामिल हैं। मामलों,व्यापार मॉडल और B2B-प्लेटफ़ॉर्म, और उद्योग 4.0के लिए भविष्य के डिजिटल पारिस्थितिकी प्रणालियों को आकार देने के विषयों पर। जर्मनी और भारत दोनों देशों में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी प्रणालियों के तेजी से अभिसरण के महत्व को रेखांकित करते हैं,उन पहलों का स्वागत करते हैं जो उद्यमियों को विचारों का आदान-प्रदान करने और परियोजनाओं को साझा करने केअनुकूल हैं। दोनों नेताओं ने स्टार्ट-अप्स के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व को स्वीकार किया। इस संबंध में,उन्होंने स्टार्ट-अप के लिए बूट शिविर आयोजित करने के प्रस्ताव का स्वागत किया जो डिजिटल क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में सहायक होगा।

11. दोनों पक्षों ने उत्‍तरदायी और मानव केंद्रित विकास और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार कृत्रिम बुद्धि के उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच के निर्माण के महत्व की पुष्टि की। इस प्रकार,जर्मनी और भारत ने एआई (जीपीएआई) पर वैश्विक भागीदारी में भाग लेने के अवसर का स्वागत किया।

12. जर्मनी और भारत साइबर सुरक्षा पर सर्वोत्तम संभव दृष्टिकोणों को चिह्नित करने और इस संबंध में आपसी सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए उपकरण तरीकों पर एक-दूसरे से परामर्श करने पर सहमत हुए।

II. नवाचार और ज्ञान के माध्यम से व्यापार और निवेश की सीमाओं का विस्तार

13. नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने के अपने संकल्प को रेखांकित किया। दोनों पक्षों ने भारत और यूरोपीय संघ के बीच संतुलित मुक्त व्यापार करार के महत्व की पुष्टि की और द्विपक्षीय व्यापार और निवेश करार पर यूरोपीय संघ और भारत के बीच वार्ता को पुन शुरू करने के प्रयासों को गहन करने पर सहमति व्यक्त की।

14. दोनों पक्षों ने अपने केंद्र में डब्ल्यूटीओ के साथ नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के लिए अपना मजबूत समर्थन दोहराया। इस पृष्ठभूमि में विश्व डब्ल्यूटीओ विवाद निपटान प्रणाली के पूर्ण कार्यकरण को बहाल करने और विशेष और विभेदक व्‍यवहार,आम सहमति आधारित निर्णय लेने जैसे इसके मूलभूत सिद्धांतों को कम किए बिना डब्ल्यूटीओ में सुधार करने के सभी प्रयास किए जाने चाहिए। विकास के उद्देश्यों. इस उद्देश्य के लिए दोनों पक्ष कज़ाकिस्तान के नूरसुल्तान में अगले विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को सफल बनाने का प्रयास करेंगे।

15. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय निवेश में निरंतर वृद्धि की सराहना की। उन्होंने मेक इन इंडिया मिटेलस्टैंड (एमआईआईएम) कार्यक्रम की सफलता का स्वागत किया जिसने1.2बिलियन यूरो से अधिक के घोषित निवेश के साथ 135 से अधिक जर्मन मिटेलस्टैंड और परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों को सुविधाजनक बनाने में मदद की है। वे यूरोपीय संघ,यूरोपीय संघ के सदस्य देशों और भारत के बीच निवेश संरक्षण समझौते को शीघ्र समाप्त करने के प्रयासों को तेज करने पर भी सहमत हुए। भारत ने आपसी आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत में जर्मन कंपनियों द्वारा प्रत्यक्ष निवेश के लिए निवेश की गारंटी देने की अपनी नीति को बहाल करने के जर्मनी के फैसले का स्वागत किया। नेताओं ने फास्ट ट्रैक तंत्र के काम की सराहना की जिसके परिणामस्वरूप कारोबार में मजबूत विश्वास हुआ है।

16. दोनों नेताओं ने दोनों स्टार्टअप पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में जर्मन भारतीय स्टार्टअप एक्सचेंज प्रोग्राम के अंतर्गत सफल कार्य को स्वीकार किया। उन्होंने नए जर्मन भारतीय स्टार्टअप एक्सचेंज प्रोग्राम कार्यक्रम के माध्यम से इस महत्वपूर्ण पहल को जारी रखने और मजबूत बनाने के साथ-साथ एक नया जर्मन एक्सीलरेटर (जीए) कार्यक्रम "अगला चरण भारत" शुरू करने का स्वागत किया,जिससे भारत में जर्मन स्टार्टअप्स के लिए एक पूर्ण जीए कार्यक्रम हो सकता है।

17. नेताओं ने युवाओं के लिए सतत आजीविका और अवसरों के सृजन के लिए कुशल मानव संसाधनों का एक कुशल पूल बनाने के महत्व को स्वीकार किया। दोनों पक्षों ने कुशल कार्यबल की मांग और कमी के बीच के अंतर को पाटने के लिए अपने प्रयासों को तेज करने की इच्छा व्यक्त की। इस संबंध में, उन्होंने चल रही गतिविधियों पर संतोष व्यक्त किया और क्षेत्रों में सहयोग पर आशय की संयुक्त घोषणा के नवीकरण का स्वागत किया जैसे क्लस्टर उन्मुख संरचनाओं की स्थापना,पाठ्यक्रम विकास, प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण और संयुक्त प्रशिक्षण संस्थानों के विकास के लिए समर्थन। इसके अलावा,दोनों पक्षों ने नवीकरणीय ऊर्जा, ई-मोबिलिटी और ऊर्जा दक्षता जैसी नई,नवीन और सतत प्रौद्योगिकियों में कौशल विकास का समर्थन करने और दोनों देशों के निजी क्षेत्र को इनमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अपनी तत्परता को स्वीकार किया।

18. दोनों नेताओं ने प्रबंधक प्रशिक्षण कार्यक्रम 'जर्मनी के साथ भागीदारी के लिए फिट'के ढांचे में एक दशक से अधिक के सफल सहयोग की सराहना की। अब तक 800 से अधिक भारतीय प्रबंधकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया है। उन्होंने इस कार्यक्रम के अंतर्गत सहयोग जारी रखने का स्वागत किया।

19. नेताओं ने उभरती नई प्रौद्योगिकियों के साथ काम के नए रूपों पर राष्ट्रीय पहलके आदान-प्रदान का स्वागत किया। इसके अलावा,अर्जेंटीना जी20राष्ट्रपति की अध्‍यक्षता में सहमत बाल श्रम और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला सहित मजबूर श्रम के उन्‍मूलन,बाल श्रम, मजबूर श्रम, मानव तस्करी और विश्‍व के कार्यों में आधुनिक गुलामी के उन्मूलन के लिए जी20 रणनीति पर अनुवर्ती कार्रवाई करने के लिए सहमत हुए।

20. नेताओं ने मानव अधिकारों का सम्मान करने के लिए व्यावसायिक उद्यमों के उत्‍तरदायित्‍व पर प्रकाश डाला और सतत आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने के लिए व्यापार और मानव अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों और जी-20प्रतिबद्धताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि निजी क्षेत्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है और उत्‍तरदायी और सतत व्यावसायिक प्रथाओं के संचालन में उद्यमों को सहायता देने में सहयोग करने की इच्छा व्यक्त करता है। दोनों पक्ष विशेष रूप से भारत और जर्मनी की राष्ट्रीय कार्य योजनाओं की स्थापना और कार्यान्वयन के संबंध में विशेषज्ञों और अनुभवों के आदान-प्रदान पर सहमत हुए।

21. उन्होंने जर्मन सामाजिक दुर्घटना बीमा (डीजीयूवी) द्वारा निशक्त व्यक्तियों के व्यावसायिक रोग,पुनर्वास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का भी स्वागत किया। कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम और भारतीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत महानिदेशक (रोजगार) जो दिव्‍यांग व्यक्तियों की क्षमता निर्माण और सामाजिक पुनर्वास को रोकने, उनका पता लगाने और व्यावसायिक रोगों के उपचार में सक्षम होंगे।

22. कराधान के क्षेत्र में दोनों नेताओं ने डिजिटलीकरण से उपजी चुनौतियों को संबोधित करने पर हाल ही में हुई प्रगति का स्वागत किया और जी20 द्वारा महत्वाकांक्षी कार्य कार्यक्रम के समर्थन का स्वागत किया है जिसमें दो-स्‍तंभ दृष्टिकोण शामिल है,जिसे ओईसीडी में बेस कटाव और लाभ स्थानांतरण (बीईपीएस) पर समावेशी संरचना ने तैयार किया है और जिसे2020 तक एक रिपोर्ट के साथ अंतिम रूप दिया जाएगा। जर्मनी और भारत ने दोनों स्तंभों1और 2 पर समय पर, आम सहमति के आधार पर समाधान तक पहुंचने के लिए अपनी साझा इच्छा पर बल दिया जो सभी व्यवसायों के लिए सुअवसर होगा।

23. दोनों नेताओं ने भारत-जर्मन वित्त मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की बहाली का स्वागत किया जिसमें सूचना और परस्‍पर आर्थिक हितपर्यांश पर चर्चा और आदान-प्रदान का मंच उपलब्ध कराया गया है। इस वर्ष के आदान-प्रदान में प्रमुख मुद्दे,अन्य लोगों के बीच, वित्तीय और बीमा क्षेत्र के साथ-साथ डिजिटलीकरण से उपजी चुनौतियां थीं।

24. परिवहन के क्षेत्र में, दोनों नेताओं ने नागर विमानन के क्षेत्र में सहयोग पर आशय की संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर करने का उल्लेख किया जो सूचना के आदान-प्रदान और सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ-साथ तकनीकी और गैर-तकनीकी प्रशिक्षण में सहयोग को सक्षम बनाता है। उन्होंने अपने संबंधित व्यावसायिक उद्यमों को भारत में वाणिज्यिक विमानन के सह-विकास और सह-उत्पादन की व्यवस्था करने के लिए भी प्रोत्साहित किया,जिसमें जानकारी और प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण भी शामिल है।

25. भारत और जर्मनी का रेल सहयोग का एक दीर्घकालिक और सफल इतिहास रहा है। नेताओं ने रेलवे पेशेवरों के प्रशिक्षण और रेलवे सुरक्षा,उच्च गति और अर्द्ध उच्च गति के क्षेत्रों में तकनीकी जानकारी के आदान-प्रदान के माध्यम से पिछले कुछ वर्षों में प्राप्त लाभों की सराहना की। दोनों नेताओं ने भारत में उच्‍च गति और अर्ध-गति रेल परियोजनाओं को शुरू करने के लिए भावी कार्रवाई के बारे में एक समान समझ प्राप्त करने के दोनों पक्षों की मंशा पर संतोष व्यक्त किया।

26. दोनों पक्षों ने आईजीसी 2013 में हस्ताक्षरित आशय की संयुक्त घोषणा के आधार पर गुणवत्ता अवसंरचना पर भारत-जर्मन कार्य समूह में निकट सहयोग की सराहना की। दोनों सरकारों ने द्विपक्षीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के ढांचे के भीतर अपनी प्रतिबद्धता की पुन पुष्टि की और बीएमडब्ल्यूआई अपनी वैश्विक परियोजना गुणवत्ता अवसंरचना (जीपीक्यूआई) के माध्यम से2020 से आगे कार्य समूह का समर्थन करने का मंशा रखती है।

27. नेताओं ने दोनों देशों के बीच मौजूदा अंतरिक्ष सहयोग पर संतोष व्यक्त किया और पृथ्वी अवलोकन और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में इसे और सुदृढ़ करने की संभावना का स्वागत किया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) के बीच कर्मियों के आदान-प्रदान के लिए कार्यान्वयन व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया।

28. आपदा के लिए गठबंधन का स्वागत करते हुए लचीला बुनियादी ढांचा (सीडीआरआई),राष्ट्रीय सरकारों की एक वैश्विक भागीदारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों और वित्तपोषण तंत्र,निजी क्षेत्र, शैक्षिक और ज्ञान ऐसी संस्थाएं जिनका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी),पेरिस जलवायु करार और आपदा जोखिम में कमी के लिए सेंडाइ संरचना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रणालियों और अवसंरचना को लचीला बनाना है। जर्मनी ने सीडीआरआई के लिए समर्थन व्यक्त किया और औपचारिक रूप से सीडीआरआई में शामिल होने की अपनीमंशा की घोषणा की, जबकि जलवायु और आपदा लचीला और टिकाऊ बुनियादी ढांचे के निवेश के लिए भारत और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ काम कर रहे हैं।

III. जलवायु और सतत विकास के लिए कार्रवाई करना

29. दोनों नेताओं ने अक्षय ऊर्जा के संवर्धन और ऊर्जा दक्षता में वृद्धि के माध्यम से ग्रह की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए अपने संयुक्त उत्‍तरदायित्‍व के साथ-साथ उसी समय में उनके कार्बन पदचिह्न को कम करने का स्‍वागत किया।दोनों देशों के लिए, सतत विकास लक्ष्य और पेरिस समझौता उनके सहयोग में मार्गदर्शक ढांचे के रूप में कार्य करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और जर्मनी में सफल ऊर्जा और परिवहन परिवर्तन के लिए दोनों देशों को एक दूसरे से सीखने और जलवायु संरक्षण की आर्थिक क्षमता का लाभ उठाने के लिए सहयोग करने की आवश्यकता है।

30. दोनों नेताओं ने जलवायु कार्रवाई के वर्तमान अपर्याप्त वैश्विक स्तर के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की और सभी देशों से अपने प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया। जर्मनी और भारत ने विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में समानता और साझा लेकिन विभेदित उत्तरदायित्वों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांतों के आधार पर जलवायु कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल दिया है और पेरिस में सहमति के रूप में उनके संबंधित एनडीसी के भावी विकास की दिशा में काम करने के लिए सहमत हैं। इसी भावना में,यूरोपीय संघ के भाग के रूप में जर्मनी और भारत सतत विकास और गरीबी उन्मूलन के प्रयासों के संदर्भ में,दीर्घकाल तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन संवाद करने,पेरिस समझौते के अनुच्छेद2 के अनुसरण में विकास कार्यनीति बनाने, आईपीसीसी के हाल के निष्कर्षों को देखते हुए विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में समानता के आधार पर आम लेकिन विभेदित उत्तरदायित्वों और संबंधित क्षमताओं की दिशा में कार्य करने पर सहमत हुए।

31. भारत और जर्मनी ने हरित जलवायु निधि की सफल भरपाई के महत्व पर प्रकाश डाला और विकसित देशों और अन्य देशों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि पेरिस समझौते और यूएनएफसीसीसी के अंतर्गत प्रावधानों के अनुरूप अपनी पहली पुनःपूर्ति अवधि के दौरान निधि के अपने योगदान को बढ़ा सकें या हरित जलवायु में पहली बार योगदान कर सकें। दोनों नेताओं ने एक सफल सीओपी25की दिशा में सभी भागीदारों के साथ रचनात्मक काम करने,पर्यावरण अखंडता बनाए रखने पर स्पष्ट नियमों को अपनाने सहित,स्थायी विकास सुरक्षित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

32. भारत और जर्मनी का 60 वर्षों से अधिक समय से सफल विकास सहयोग चल रहा है। नेताओं ने ऊर्जा,सतत और जलवायु अनुकूलन शहरी विकास और परिवहन, पर्यावरण और सतत प्रबंधन,प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता के संरक्षण जैसे क्षेत्रों में एक साथ काम करके इस समयावधि में दोनों देशों को अर्जित परस्‍पर लाभ की सराहना की।

33.दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की कि सभी नागरिकों के आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले न्यून कार्बन और टिकाऊ गतिशीलता समाधान प्रदान करना,उभरती और औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं दोनों के लिए इस समय की एक प्रमुख चुनौती है। जर्मनी और भारत दोनों ने कई राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से प्रयोक्ता के अनुकूल और पर्यावरण की दृष्टि से सतत गतिशीलता योजनाएं बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। दोनों पक्ष न्यून कार्बन गतिशीलता समाधानों पर सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमत हुए और हरित शहरी गतिशीलता पर भारत-जर्मन भागीदारी पर आशय की नई संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया जिसमें जर्मन पक्ष ने भारतीय शहरों में हरित शहरी गतिशीलता बुनियादी ढांचे और सेवाओं के सुधार का समर्थन करने और राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय संस्थानों की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए डिजाइन और टिकाऊ,समावेशी और स्मार्ट गतिशीलता समाधान को लागू करने के लिए 1 अरब यूरो का अतिरिक्त रियायती वित्त-पोषण प्रदान करने के लिए अपनी तत्परता व्यक्त की। इसके अतिरिक्त,दोनों नेताओं ने इस बात का स्वागत किया कि ई-मोबिलिटी को सहयोग के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र की परिकल्पना की जा रही है,जिसमें मोटर वाहन पर पहले से स्थापित संयुक्त कार्य समूह भी शामिल है।

34. पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्यों के साथ-साथ 2030में एसडीजी की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए एक सफल वैश्विक ऊर्जा संक्रमण के लिए दोनों देशों के असाधारण महत्व को स्वीकार करते हुए,दोनों नेताओं ने इस बारे में संतोष व्यक्त किया जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में सहयोग,जिसमें भारत-जर्मन ऊर्जा मंच (आईजीईएफ),भारत-जर्मन विकास सहयोग के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल के अंतर्गत महत्वपूर्ण और सफल कार्य शामिल हैं।

35. दोनों पक्ष कोयले सहित जीवाश्म इंधनो के सतत प्रतिस्थापन के लिए मार्ग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक ढांचा तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एक स्थायी ऊर्जा संक्रमण का जोर ग्रिड बुनियादी ढांचे,ऊर्जा दक्षता और मांग पक्ष प्रबंधन, लचीला बिजली उत्पादन के साथ साथ बड़े वृद्धि पैमाने पर भंडारण समाधान के जरिए आंतरायिक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के बड़े पैमाने पर ग्रिड एकीकरण पर होगा। इसके अलावा,उन्होंने यह माना कि ऐसे कई तरीके हैं जिसके द्वारा विशेष रूप से सौर प्रौद्योगिकियों ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन,विशेष रूप से महिलाओं, में एक परिवर्तन ला सकते हैं,और इस क्षेत्र में संभावनाओं का पता लगाने के लिए सहयोग करने,विशेष रूप से विद्युतीकरण के लिए भंडारण सेल और माइक्रो ग्रिड समाधान अपनाने के लिए सहमत हुए।

36. उन्होंने2015 में स्थापित सफल भारत-जर्मन सौर भागीदारी और2013में स्थापित ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर पर सहयोग को स्वीकार किया। सकारात्मक विकास को बनाए रखने और भारत सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा से 175 गीगावॉट बिजली और बाद के वर्षों में450 गीगावॉट और जर्मन सरकार से 2050 तक कुल बिजली उत्पादन का 80% प्रदान करने के लिए, दोनों नेता भारतीय और जर्मन विद्युत बाजारों के जलवायु अनुकूल विकास को बढ़ावा देने पर सहमत हुए।

37. भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में शामिल होने के लिए जर्मनी की उत्सुकता का स्वागत किया,ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सतत जलवायु अनुकूल और कुशल ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा दिया जा सके।

38. प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर मर्केल ने भारत-जर्मन पर्यावरण मंच (आईजीएनवीएफ) के महत्व की पुष्टि की,जिसने फरवरी 2019 में दिल्ली में अपनी पिछली बैठक की थी। दोनों देशों के संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए,राज्य और नगरपालिका प्राधिकरणों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

39. दोनों नेताओं ने 2019 में आयोजित जल प्रबंधन,अपशिष्ट प्रबंधन/सर्कुलर अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ जैव विविधता में सहयोग के लिए संयुक्त कार्यदलों की बैठकों का स्वागत किया। नेताओं ने इस पहल "पारिस्थितिकी में मरीन लिटर के लूप को बंद करने" की शुरूआत का स्वागत किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पहल संसाधन कुशल और परिपत्र अर्थव्यवस्था दृष्टिकोण को अपनाने को प्रोत्साहित करके,प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों का उपयोग करके और सभी पणधारकों के साथ साझेदारी में एसडीजी12को प्राप्त करने के लिए चल रहे प्रयासों का समर्थन करेगी। दोनों पक्षों ने मरीन लिटर पर आशय की दो संयुक्त घोषणाओं पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया।

40. दोनों पक्ष नवीकरणीय ऊर्जा के लिए और वन परिदृश्‍य बहाली के लिए हिस्‍से के रूप में ग्रिड विस्तार और भंडारण प्रणालियों हेतु अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल के द्विपक्षीय आह्वान के ढांचे के अंतर्गत35 मिलियन यूरो के एक भाग को समर्पित करने पर सहमत हुए। वन परिदृश्य बहाली के लिए नए मॉडल भारत के बॉन चैलेंज लक्ष्य के साथ-साथ33% वन कवर प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य में योगदान कर सकते हैं। दोनों पक्षों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जलवायु की संरक्षा करने,जैविक विविधता की संरक्षा करने और सतत विकास में योगदान करने के लिए वन अपरिहार्य हैं।

41. दोनों नेताओं ने 2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता ढांचे सहित जैव विविधता सम्‍मेलन (सीबीडी) वार्ताओं के लिए रणनीतिक भागीदार के रूप में जैव विविधता सहयोग को जारी रखने और सुदृढ़ करने में रुचि व्यक्त की। दोनों पक्षों ने तटीय और समुद्री जैव विविधता संरक्षण, परागणकर्ताओं के संरक्षण,आक्रामक विदेशी प्रजातियों के प्रबंधन, पारिस्थितिक राजकोषीय हस्तांतरण और औषधीय पादपों के संरक्षण से संबंधित परियोजनाओं में सहयोग की संभावनाओं की पहचान की और अन्य एकाधिक उपयोग स्थानिक पेड़ प्रजातियों पर आगे चर्चा की गई।

42. दोनों नेताओं ने मई 2017 में सतत शहरी विकास पर हस्ताक्षरित आशय की संयुक्त घोषणा के तहत प्राप्त प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया और अपने सफल सहयोग को जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्मार्ट शहर नेटवर्क के भीतर भारत की भागीदारी को औपचारिक रूप देने के आशय की घोषणा पर संयुक्‍त हस्‍ताक्षर करने का स्‍वागत किया। भारत ने जर्मन कंपनियों को किफायती आवास कार्यक्रमों में भाग लेने और भारत में निर्माण प्रौद्योगिकी वर्ष2019-2020 के प्रभावी कार्यान्वयन में नई निर्माण प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित किया। दोनों पक्ष जर्मनी 2020 में होने वाले शहरी विकास पर संयुक्त कार्य दल की अगली बैठक की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

43. दोनों पक्षों ने 2016 में आवास III सम्मेलन में न्यू अर्बन एजेंडा में चिह्नित गए लक्ष्यों की दिशा में काम करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। दोनों नेताओं ने कोच्चि,कोयम्बटूर और भुवनेश्वर शहरों में लागू किए जा रहे द्विपक्षीय सहयोग की सराहना की और अधिक भारतीय शहरों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

44. जर्मनी, भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ द्वारा सहयोगात्मक जलवायु कार्रवाई पर भागीदारी घोषणा के समर्थन का स्वागत करता है और अधिक भारतीय शहरों और संघीय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ-साथ केंद्र सरकार को शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है।

45. दोनों पक्षों ने कृषि, खाद्य उद्योग और उपभोक्ता संरक्षण संबंधी संयुक्त कार्य दल की रचनात्मक भूमिका पर प्रकाश डाला जिसने मार्च2019 में दिल्ली में अपनी पिछली बैठक आयोजित की थी। उन्होंने खाद्य सुरक्षा,कृषि प्रशिक्षण और कौशल,फसलोत्तर प्रबंधन और कृषि संभार तंत्र के क्षेत्र में मौजूदा समझौता ज्ञापनों से उत्पन्न ठोस परियोजनाओं के बारे में संतोष व्यक्त किया।

46. दोनों पक्षों ने खेती और पशुपालन के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में प्रौद्योगिकी सहयोग के क्षेत्रों में भारत में जर्मन कंपनियों के लिए अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने2019 के अंत में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले फसलोत्तर प्रबंधन और कृषि रसद पर एक कार्यशाला की संभावना का स्वागत किया।

47. दोनों नेताओं ने बीज विकास में उपयोगी सहयोग की निरंतरता की सराहना की,जिसे जून 2019 में आशय की संयुक्त घोषणा द्वारा नवीनीकृत किया गया था,ताकि उच्च गुणवत्ता वाले बीजों तक किसानों की पहुंच को बढ़ावा देने में योगदान दिया जा सके। दोनों पक्षों ने कृषि के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और एक नई द्विपक्षीय सहयोग परियोजना की स्थापना पर आशय की संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया जिसे भारत में कृषि बाजार विकास को मजबूत करनेके सुधार प्रयासों का समर्थन करने के लिए डिजाइन किया जाएगा।

48. इसके अतिरिक्त, नेताओं ने प्राकृतिक संसाधनों,विशेष रूप से मिट्टी और जल के सतत प्रबंधन पर निरंतर सहयोग का स्वागत किया।

IV. लोगों को एकजुट करना

49. नेताओं ने संस्कृति के क्षेत्र में मौजूदा मजबूत सहयोग पर संतोष व्‍यक्‍त किया और जर्मन और भारतीय संग्रहालयों के बीच,राष्ट्रीय संग्रहालय, स्टिफटंग प्रीयूज़्चर कुल्तुर्बेक्सिट्ज (प्रशियन सांस्कृतिक विरासत फाउंडेशन) और हम्बोल्ट-जेड,संग्रहालय सहयोग, सांस्कृतिक विरासत और संग्रहालय बहाली के संरक्षण के बारे में संयुक्त घोषणा का स्वागत किया।

50. दोनों पक्षों ने कोच शिक्षा, प्रतिभा स्काउटिंग और नवाचार प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग सहित ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) और ड्यूशर फूबॉल-बंड (जर्मन फुटबॉल एसोसिएशन,डीएफबी) के बीच साझेदारी समझौते का स्वागत किया।

51. दोनों नेताओं ने, दूतावास के वाणिज्यिक,आर्थिक सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विभागों के लिए संचालित राज्य वित्त पोषित संस्थानों के कार्यालयों के साथ-साथ जर्मन दूतावास स्कूल को समायोजित करने लिए2 न्याय मार्ग, नई दिल्ली में एक जर्मन हाउस की योजना पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने संवर्धित भारत-जर्मन प्रौद्योगिकी भागीदारी को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन की गई अत्याधुनिक निर्माण परियोजना को अपना पूरा समर्थन दिया।

52. दोनों पक्षों ने शिक्षा के क्षेत्र में,दोनों देशों के बीच बढ़ते आदान-प्रदान पर संतोष व्यक्त किया और समग्र कार्यक्रम "भारत के लिए एक नया मार्ग" (एएनपीआई) के भाग के रूप में "उच्च शिक्षा पर भारत-जर्मन भागीदारी" (आईजीपी) का स्वागत किया और जर्मनी में अध्ययन कर रहे भारतीय छात्रों की संख्या जो वर्तमान में 20,800 है, को बढ़ाने के लिए और भारत में पढ़ रहे जर्मन छात्रों की संख्या बढ़ाने हेतु कार्रवाई करने पर सहमति व्‍यक्‍त की है। इसके साथ ही दोनों पक्षों ने 2015 में हस्ताक्षरित आशय की संयुक्त घोषणा में परिकल्पित जर्मन शैक्षिक संस्थानों में आधुनिक भारतीय भाषाओं के शिक्षण के महत्व को मान्यता दी।

53. दोनों नेताओं ने 2020 में अपनी दसवीं वर्षगांठ मनाने वाले भारत-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र,आईजीएसटीसी के अंतर्गत लंबे समय से चली आ रही अनुसंधान भागीदारी के लिए अपनी सराहना व्यक्त की। दोनों नेताओं ने टीयू9 और आईआईटी के विश्वविद्यालय सहयोग की भी सराहना की,जिसे बढ़ाया जाना है, साथ ही भारत-जर्मन स्थिरता केंद्र भी स्‍थापित किया जाता है।

54. पारंपरिक दवाओं में अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए,मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन फ्रेंकफर्टर इनोवेशन्सजेनट्रम बायोटेकनोलोजी जीएमबीएच (एफआईजेड) और आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत स्‍वायत्‍त संगठन अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। जो आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेदिक सिद्धांतों को एकीकृत करने के लिए अनुसंधान और विकास के दिशा-निर्देशों में सहयोग को बढ़ावा देगा।

55. पारंपरिक दवाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, आयुर्वेद और योग लोगों के कल्‍याण के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने में और भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में पारंपरिक चिकित्सा द्वारा निभाई गई महान भूमिका पर विचार करते हुए,दोनों देश पारंपरिक चिकित्सा, विशेष रूप से लोगों के कल्‍याण के लिए योग और आयुर्वेद का प्रभाव आगे मूल्यांकन करने पर सहमत हैं। द्विपक्षीय परियोजनाएं,जो गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने और पारंपरिक चिकित्सा संबंधी अवसंरचना में निवेश को प्रोत्साहित करके पारंपरिक चिकित्सा के शिक्षा,अनुसंधान और प्रथाओं में सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करती हैं,की अत्यधिक सराहना की गई हैं।

56. दोनों नेताओं ने सभी कांसुलर मामलों से संबंधित मुद्दों का समाधान करने के लिए एक नियमित कांसुलर वार्ता तंत्र के संस्थागतकरण की सराहना की। दोनों पक्ष प्रथम भारत-जर्मनी कौंसुलर वार्ता शीघ्र आयोजित करने पर सहमत हुए।

57. दोनों नेताओं ने आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) को अंतिम रूप देने की दिशा में की गई संतोषजनक प्रगति पर ध्यान दिया। नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों पक्षों के बीच प्रवास और गतिशीलता भागीदारी समझौते पर चल रही वार्ताको यथाशीघ्र अंतिम रूप देने की दृष्टि से प्रमुख तत्वों पर भारत-जर्मनी प्रवास और गतिशीलता भागीदारी समझौताआशय के वक्तव्य के आधार पर इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए आगे बढ़रहे हैं।

58. भारतीय पक्ष ने अगस्त 2020 से मुंबई में जर्मन वाणिज्य दूतावास के भीतर एक शेनजेन-वीजा केंद्र स्थापित करने के जर्मन संघीय विदेश कार्यालय की मंशा का स्वागत किया जिससे वीजा जारी करने में और मदद मिलेगी।

V. साझा वैश्विक उत्‍तरदायित्‍व

59. वर्ष2020 में अपने 20वें वर्ष में प्रवेश करने वाली अपनी सामरिक भागीदारी को और विकसित करने और सुदृढ़ करने के इच्छुक दोनों पक्षों ने विदेश कार्यालय परामर्शों के तंत्र को संस्थागत बनाने का निर्णय लिया जो प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में किया जाएगा। भारत के विदेश सचिव और जर्मन संघीय विदेश कार्यालय के राज्य सचिव के बीच आयोजित किया जाएगा। उन्होंने एक ट्रैक1.5 रणनीतिक वार्ता भी स्थापित की जो प्रमुख हितधारकों को राष्ट्रीय,क्षेत्रीय और सामरिक हितों की आपसी समझ को बढ़ाने और संयुक्त रूप से सिफारिशें तैयार करने के लिए विचारों के खुले आदान-प्रदान में वार्षिक रूप से संलग्न होने में सक्षम करेगी। भारत और जर्मनी दोनों देशों के मीडिया पेशेवरों की यात्राओं को सुविधाजनक बनाकर सूचना प्रवाह में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों ही पक्ष हमारे लोकतांत्रिक समाजों के लिए स्वतंत्र प्रेस के महत्व को रेखांकित करते हैं। दोनों नेताओं ने सांसदों और विद्वानों के बीच लगातार और गहन संपर्क को प्रोत्साहित किया। उन्‍होंने शैक्षिक और संवाद प्रारूपों के माध्यम से इस तरह के संपर्कों को सुविधाजनक बनाने में जर्मन राजनीतिक नींव की भूमिका को मान्यता दी।

60. विकासशील और कम आय वाले देशों में संप्रभु ऋण को रोकने के लिए,और वित्तपोषण के लिए उधारकर्ताओं और लेनदारों, दोनों सरकारी और निजी पर्याप्त पहुँच की अनुमति देते हुए, दोनों नेताओं के लिए जिम्मेदार,पारदर्शीऔर टिकाऊ वित्तपोषण प्रथाओं को सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया। इस पृष्ठभूमि के विरूद्ध भारत और जर्मनी कम आय वाले देशों के ऋण पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक समूह,और पेरिस क्लब (पीसी) द्वारा चल रहे काम का समर्थन करते हैं और उभरते लेनदारों के व्यापक शामिल किए जाने की दिशा में पीसी के निरंतर प्रयासों का समर्थन करते हैं। दोनों पक्षों ने सरकारी द्विपक्षीय ऋण के पुनर्गठन के लिए मुख्य मंच के रूप में पीसी की भूमिका की पुष्टि की और संप्रभु ऋण मुद्दों पर अपने काम का समर्थन किया।

61. भारत और जर्मनी ने वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का संयुक्त रूप से समाधान करने के लिए रणनीतिक भागीदार के रूप में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और अधिक गहरा करने की आवश्यकता को स्वीकार किया। जर्मनी, संबंधित अंतर्राष्ट्रीय,यूरोपीय और राष्ट्रीय नियमों के अनुसार भारत के साथ सैन्य उपकरणों के निर्यात के साथ-साथ प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने की दिशा में काम करेगा। दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच गहन सहयोग से भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के तहत सह-विकास और सह-उत्पादन को प्रोत्साहित करना चाहिए और तमिलनाडु और उत्तर राज्यों में स्थापित रक्षा गलियारों का लाभ उठाना चाहिए। हिंद महासागर क्षेत्र की स्थिरता में साझा रुचि को देखते हुए भारतीय और जर्मन नौसेना उद्योगों (जैसे पनडुब्बियों) के बीच समुद्री परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया जाता है।दोनों पक्ष विशेष रूप से विभिन्न प्रणालियों और उप-प्रणालियों और गुणवत्ता आश्वासन के डिजाइन प्रमाणन के लिए रक्षा उद्योग परीक्षण और प्रमाणन में मजबूत सहयोग विकसित करने पर सहमत हुए। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि दोनों देशों के प्रमुख उद्योगों को दूसरे देश के एसएमई/एमएसएमई को उनकी आपूत श्रृंखलाओं में एकीकृत करने का प्रयास करना चाहिए।

62. दोनों नेताओं ने दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच बारी-बारी से भारत और जर्मनी में हर दो साल में कम से कम एक बार नियमित वार्ता करने के निर्णय का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने इस वर्ष के प्रारंभ में हस्ताक्षरित द्विपक्षीय रक्षा सहयोग से संबंधित "कार्यान्वयन व्यवस्था" का स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि इससे मौजूदा और नई रक्षा और सुरक्षा वार्ता में सुरक्षा नीति में सहयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।वैश्विक,क्षेत्रीय, समुद्री और साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा,संयुक्त राष्ट्र शांति-रक्षा प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक विस्तारित और गहरा सहयोग नियमित उच्च स्तरीय और विशेषज्ञों के परामर्श के पारस्परिक रूप से लाभकारी विषय होगा।

63. दोनों नेताओं ने महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर स्थायी विरासत और अहिंसा और सद्भाव के उनके दर्शन को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों पर आधारित लोकतांत्रिक शासन,कानून का शासन, मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं का सम्मान और बहुपक्षीय सहयोग जैसे साझा मूल्यों को बढ़ावा देने की अपनी और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता प्रतिबद्धता को दोहराया। संप्रभुता दोनों नेताओं ने मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के संरक्षण और उनकी रक्षा के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय तंत्र को सुदृढ़ करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। भारत और जर्मनी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा,वैश्विक आथक स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए मौजूदा और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए जी-20,संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय मंचों में भागीदारों के साथ घनिष्ठ सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संबंध में,भारत और जर्मनी विशेष रूप से 2022 में भारतीय जी-20प्रेसीडेंसी और जर्मन जी 7 प्रेसीडेंसी के दौरान सहयोग को बंद करने के लिए तत्पर हैं।

64. दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्‍मेलन (यूएनसीएलओएस) 1982के अनुसार अबाधित वाणिज्य और नौवहन की स्वतंत्रताके महत्व को रेखांकित किया।

65. दोनों नेताओं ने एक स्थिर, एकजुट,समृद्ध,बहुलवादी और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने एक अंतर-अफगान वार्ता के आयोजन में जर्मनी के प्रयासों का स्वागत किया जिसमें सरकार भी शामिल है और एक व्यापक और समावेशी अफगान के नेतृत्व वाली और अफगान स्वामित्व वाली शांति और सुलह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है। उन्होंने हिंसा समाप्त करने;अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के सभी संबंधों को तोड़ने; आतंकवादी सुरक्षित आकाश और अभयारण्यों को नष्ट करना;संवैधानिक व्यवस्था का संरक्षण और संविधान में प्रतिष्ठापित सभी अफगान नागरिकों के सार्वभौमिक मानव अधिकारों के लिए सम्मान की मांग की। जर्मनी ने अफगानिस्तान के विकास सहयोग और पुनर्निर्माण में भारत के योगदान की सराहना की।नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया के साथ-साथ अफगानिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय संपर्क समूह क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वास निर्माण और राजनीतिक सहयोग के लिए महत्वपूर्ण प्रारूप बना हुआ है।

66. आतंकवाद एक वैश्विक संकट है, इस बात पर जोर देते हुए दोनों नेताओं ने आतंकवाद के वैश्विक खतरे पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की और संयुक्त रूप से इसका मुकाबला करने के अपने संकल्प को व्यक्त किया। उन्होंने सभी देशों से आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाहों और बुनियादी ढांचे को जड़ से उखाड़फेंकने, आतंकवादी नेटवर्क को बाधित करने और आतंकवादियों की सीमा पार से आवाजाही रोकने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। उन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने और हिंसक उग्रवाद को रोकने में मजबूत अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया,जिसमें मानव अधिकार कानून और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून सहित सूचना और आसूचना के आदान-प्रदान में वृद्धि और कानून और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन का पूर्ण अनुपालन शामिल है।

67. नेताओं ने सभी देशों के लिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि उनके क्षेत्र का उपयोग किसी भी तरह से अन्य देशों पर आतंकवादी हमले करने के लिए नहीं किया जाए। दोनों नेताओं ने वैश्विक आतंकवाद से लड़ने के लिए सभी देशों के संयुक्त प्रयास के महत्व पर जोर दिया और यह संदेश दिया कि आतंकवाद सभी रूपों और अभिव्यक्तियां में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्वीकार्य नहीं हैं। इस वैश्विक खतरे के खिलाफ लड़ाई में एक संयुक्त मोर्चा पेश करने की आवश्यकता का जिक्र करते हुए दोनों नेताओं ने मार्च2020में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय को अंतिम रूप देने और इसे अपनाने का आह्वान किया।

68. दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि भारत और जर्मनी को आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त कार्य दल के ढांचे के भीतर अपना सहयोग जारी रखना चाहिए,जिसमें आतंकवादी नेटवर्क पर सूचना और आसूचना के आदान-प्रदान पर भी शामिल है और अनुभवों को साझा करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने दोनों पक्षों के अधिकारियों से आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त कार्यदल की अगली बैठक जल्द से जल्द तय करने को कहा।

69. भारत और जर्मनी ने ईरान और ई3+3 के बीच हस्ताक्षरित संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के निरंतर पूर्ण कार्यान्वयन के लिए अपने समर्थन की पुन पुष्टि की। इसके चारों ओर जो मुद्दे उठे हैं,उनका राजनीतिक संवाद के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से समाधान किया जाना चाहिए। भारत और जर्मनी इस बात पर सहमत हुए कि ईरानी परमाणु कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प2231 पर संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) का पूर्ण अनुपालन क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और वर्तमान मुद्दों की आवश्यकता है। बातचीत और विश्वास निर्माण के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से हल किए जाने की आवश्यकता है, जिसमें चल रहे तनावों को कम करने की दिशा में प्रयास भी शामिल हैं।

70. नेताओं ने वैश्विक अप्रसार प्रयासों को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। भारत ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण क्षेत्र,ऑस्ट्रेलिया समूह और वासनेर व्यवस्था में भारत के सहयोग के लिए जर्मनी को धन्यवाद दिया। जर्मनी ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शीघ्र पहुंच के लिए अपना दृढ़ समर्थन दोहराया और इस संदर्भ में परमाणु अप्रसार,निरस्त्रीकरण और शस्त्र नियंत्रण के क्षेत्रों में भारत के रचनात्मक संबंधों के महत्व का स्‍मरण किया।

71. दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र के दौरान शुरू की जाने वाली सुरक्षा परिषद सुधार पर पाठ आधारित वार्ता शुरू करने की दिशा में जी-4और अन्य सुधारोन्मुख देशों और समूहों के दृढ़ प्रयासों पर बल दिया। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए एक-दूसरे की उम्मीदवारी का पूरा समर्थन दोहराया। सुरक्षा परिषद में सुधार बहुपक्षीय नियमों के आधार पर व्यवस्था की सुरक्षा और सुदृढ़ीकरण के लिए केंद्रीय है। अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के केंद्र में सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधित्व की कमी अपने निर्णयों और इसकी प्रभावशीलता की वैधता को प्रभावित करता है। हम जिन वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं,उनके आलोक में हमें मजबूत, वैध और प्रभावी संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता है।

72. मजबूत और प्रभावी बहुपक्षीय सहयोग शांति, स्थिरता और समृद्धि को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस समय की प्रमुख चुनौतियों,उनके स्वभाव और वैश्विक दायरे के अनुसार, देशों द्वारा अलग से संबोधित नहीं किया जा सकता है लेकिन संयुक्त रूप से हल किया जाना चाहिए।

73. दोनों नेताओं ने 5वीं आईजीसी में आयोजित विचार-विमर्श पर संतोष व्यक्त किया और सामरिक भागीदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुन पुष्टि की और क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के प्रति अपने दृष्टिकोणों को सहयोग जारी रखने का संकल्प लिया। जर्मनी के संघीय चांसलर डॉ. एंगेला मर्केल ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का धन्‍यवाद किया।

नई दिल्ली

01 नवंबर, 2019

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