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आईसीडब्ल्यूए द्वारा आयोजित वेबिनार ऑन इंडिया और एससीओ संबंध के उद्घाटन सत्र में सचिव (पश्चिम) द्वारा उद्घाटन टिप्पणियां

सितम्बर 02, 2020

नमस्कार!

आईसीडब्‍ल्‍यूए महानिदेशक, राजदूत राघवन
एससीओ के महासचिव, महामहिम व्लादिमीर नोरोव!

गणमान्य सहयोगियों, विद्वानों, देवियों और सज्जनों!


एससीओ के साथ भारत के संबंधों पर आज इस वेबिनार में शामिल होना मेरे लिए खुशी की बात है और इस पहल के लिए मैं आईसीडब्‍ल्‍यूए के महानिदेशक, राजदूत टीसीए राघवन और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना करता हूं। यह वेबिनार ऐसे समय पर आया है जब हम विस्‍तार कर रहें और इस वर्ष के अंत में एससीओ परिषद के सरकारी अध्‍यक्षों की अध्यक्षता ग्रहण करके संगठन पर अपनी छाप को और अधिक प्रगाढ़ कर रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में इस जिम्मेदारी से जुड़ना और एससीओ में हमारी यात्रा, इस जीवंत संगठन और विशाल अवसरों के लिए एक स्‍पष्‍ट आशावाद है जिससे इसे पुनरुत्थानशील और आत्मनिर्भरता भारत का मार्ग प्रशस्‍त होता है।

2. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), अपने अस्तित्व के पिछले दो दशकों में यूरेशियन अंतरिक्ष में एक प्रमुख क्षेत्रीय संगठन के रूप में उभरा है। यूरेशिया क्षेत्र की 60 प्रतिशत से अधिक और दुनिया की 40 प्रतिशत से अधिक जनसंख्‍या वाले एससीओ के सदस्य देशों का सकल घरेलू उत्‍पाद, दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक चौथाई हैं। नए राज्यों के स्थायी और पर्यवेक्षक सदस्यों, दोनों के रूप में शामिल होने से न केवल संगठन की सीमाओं का विस्तार हुआ है, बल्कि इससे इसके दायरे और प्रभावशीलता को व्यापक बनाने में भी मदद मिली है। सुरक्षा संबंधी आम चुनौतियों का समाधान करने और दीर्घकालिक आर्थिक एवं ऊर्जा संबंध बनाने में क्षेत्रीय तालमेल निर्माण में नई गति परिलक्षित होती है। जबकि कोई कार्य अभी भी प्रगति पर है, क्षेत्रीय सहयोग के बंधन को सुदृढ़ करने के लिए एससीओ के बीच के मजबूत इच्‍छा अंतर्निहित प्रतीत होती है। यह, राष्ट्रीय सुलह और सामाजिक-आर्थिक स्थिरता की प्रक्रिया में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से अफगानिस्तान का एक प्रेक्षक राज्‍य के रूप में सह-चयन करने और अफगानिस्तान के संबंध में एससीओ संपर्क समूह की स्थापना करने में यकीनन सबसे अच्‍छी तरह परिलक्षित होता है। यह हाल ही में कोविड- 19 महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए सेना में शामिल होने से भी स्पष्ट था।

3. भारत ने 2005 में संगठन का पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त हुआ और 2017 में इसे पूर्ण सदस्य का दर्जा प्रदान किया गया। संगठन के साथ एक दशक से भी अधिक समयावधि की भागीदारी, भारत की इस क्षेत्रीय समूह में अधिक सार्थक भूमिका निभाने की इच्छा को रेखांकित करता है। यह आशावाद भारत की यूरेशियन साझेदारी को और गहरा करने की इच्छा से उपजा है। इस संदर्भ में, एससीओ, भारत के लिए इस व्‍यापक पड़ोस को फिर से पुन: जुड़ाव के लिए प्रेरणास्रोत प्रदान करता है, जिसके साथ हम सदियों के साझा इतिहास के स्थायी बंधन से बंधे हुए हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत यूरेशियाई देशों से अत्‍यधिक प्रभावित है। हजारों वर्षों तक भारतीय व्यापारियों और यात्रियों ने कारवां मार्गों से व्यापार किया था और धर्म विशाल यूरेशियन मैदान पर बौद्ध फला-फूला था। इतिहास भारत और मध्य एशिया के बीच घनिष्ठ संबंधों से भरा हुआ है, जिसमें आध्यात्मिक इंटरफेस सहित लोगों, वस्तुओं एवं विचारों का आदान –प्रदान होता था जिसने हम दोनों को समृद्ध किया। मध्य एशिया में भारतीय सिनेमा, संगीत और कला के प्रति गहरी रुचि भारतीय संस्कृति के प्रति आकर्षण व्यक्त करती है।

4. इन नाभि बंधनों की शक्ति को अंगीकार करके, भारत की बढ़ती आर्थिक क्षमता और संस्थागत क्षमताओं के निर्माण में विशाल अनुभव एवं विशेषज्ञता से एससीओ की निवर्तमान परियोजनाओं में कहीं अधिक मूल्यवर्धन किया जा सकता है और इस प्रदेश के लिए एक साझा विजन का पता लगाने के‍ लिए नए क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया जा सकता है। 2020 के दौरान एससीओ परिषद के सरकारी अध्‍यक्षों की भारत की अध्यक्षता, जिसका समापन 30 नवंबर 2020 को भारत में शिखर सम्मेलन के साथ होगा, से हमें एससीओ के व्यापार और आर्थिक एजेंडे में पर्याप्‍त योगदान करने का अवसर मिला है - जो नवंबर में शिखर सम्‍मेलन का मुख्‍य अधिदेश होगा।

5. वर्ष के दौरान, हमने तीन क्षेत्रों के संबंध में नई उपलब्धि प्राप्‍त की है, जिसमें हमने अपनी सामूहिक शक्तियों का तालमेल करने का प्रस्ताव दिया है- स्टार्टअप्स एवं नवाचार, परंपरागत औषधि और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी। भारत ने स्टार्टअप्स एवं नवाचार पर एक नया एससीओ विशेष कार्य-समूह के आयोजन, एसडीजी 3 की प्राप्ति के लिए पारंपरिक औषधि में सहयोग पर एक नए उप समूह के गठन और युवा वैज्ञानिकों के लिए सबसे पहले एससीओ कॉन्क्लेव की मेजबानी का प्रस्‍ताव किया है।

6. हम एससीओ के भीतर व्यापार और निवेश में संभावित और पारस्परिक लाभप्रद सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने के संबंध में एक अधिक सक्रिय और केंद्रित बौद्धिक संवाद के सृजन के लिए भी प्रयासरत हैं। इस दिशा में 20 अगस्त 2020 को पहला कदम उठाया गया जब भारत ने एससीओ के कंसोर्टियम ऑफ इकोनॉमिक थिंक टैंक की पहली बैठक सफलतापूर्वक आयोजित की। हम बैठक में सभी सदस्य राज्यों के पूर्ण समर्थन के लिए आभारी हैं और अब नवंबर में दिल्ली कार्य योजना- भारत में सरकार के एससीओ प्रमुखों में नेताओं के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले एक परिणाम दस्तावेज को अंतिम रूप देने पर विचार कर रहे हैं।

7. हमारा यह भी दृढ़़ मत हैं कि खुली, समावेशी और केंद्रित बी2बी बातचीत से अंतत: एससीओ के भीतर विकासशील नीतियों के लिए मार्ग प्रशस्त होगा, जो मांग-प्रेरित हैं और सदस्य राज्यों की सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के अनुरूप हैं। ऐसे विज़न को कार्यान्वित करने के लिए, एससीओ बिजनीस काउंसिल में भारत से नेशनल चेप्‍टर के रूप में एफसीसीआई- नवंबर में एससीओ बिजनेस फोरम की मेजबानी करेगा जो एमएसएमई, कृषि-प्रसंस्करण, डिजिटल अर्थव्यवस्था, फार्मास्युटिकल्स और ग्रीन टेक्नोलॉजीज आदि में अधिक व्यापार और निवेश के लिए एक सामान्य आधार खोजने का प्रयास करेगा। इसी प्रकार, इन्वेस्टिंडिया, बेस्ट प्रैक्टिसेज वर्कशॉप, कॉर्पोरेट एण्‍ड इनवेस्‍टर एंगेजमेंट, प्रोक्योरिंग सोशल इनोवेशन एंड नॉलेज- शेयरिंग सेशन जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस करने के लिए अक्‍तूबर में पहले एससीओ स्टार्टअप फोरम की मेजबानी करेगा। इस तरह के दृष्टिकोण का उत्साहजनक पहलू यह है कि 11 अगस्त को इनवेस्‍टइंडिया द्वारा आयोजित प्रारंभिक सेमिनार में, जिसमें 60 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था, स्‍वयं सदस्य राज्यों द्वारा हित-क्षेत्रों की पहचान की गई थी।

8. भारत, अधिक जन-से-जन संपर्क को बढ़ावा देकर एक-दूसरे की सांस्कृतिक विरासत की बेहतर समझ में योगदान देना चाहेगा। दुर्भाग्यवश, महामारी के कारण हम इस वर्ष बैठकों का वास्‍तविक आयोजन नहीं कर सके। लेकिन फिर भी, हम दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय में एससीओ सदस्य राज्यों में साझा बौद्ध विरासत और भारतीय क्षेत्रीय साहित्य की शास्‍त्रीय रचानाओं के रूसी और चीनी एससीओ भाषाओं में अनुवाद पर डिजिटल प्रदर्शनी का आयोजन कर आगे बढ़ रहे हैं। एससीओ में युवाओं को एक साथ लाना एक अन्य क्षेत्र है जिस पर हम फोकस कर रहे हैं। हमारी ओर से पहला कदम, इस वर्ष एससीओ युवा परिषद में शामिल होना है और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) को भारत से अगुवाई करने के लिए नामित किया जा रहा है। हमें आशा है कि इन प्रयासों से हम एक-दूसरे की सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत और हमारे क्षेत्र को एकता के सूत्र में बांधने वाले बंधनों के प्रति अपनी धारणा में प्रतिमान बदलाव को बढ़ावा देंगे।

9. मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि आज के वेबिनार में उच्च-स्तरीय भागीदारी हुई है, जिनमें देश भर के पूर्व राजदूत और विशेषज्ञ शामिल हैं और यह संगठन की क्षमता का प्रमाण है क्योंकि इसे विश्व मंच पर अपने लिए एक बड़ी भूमिका मिलती है। भारत आम सहमति और पारस्‍परिक समझ की भावना का समर्थन करता है जो संगठन की विशिष्‍टता रही है। सरकार के प्रमुखों की परिषद की वर्तमान अध्‍यक्षता के दौरान और उससे परे, हम मानवजाति को अपने विचारों और परिषद के हमारे वर्तमान अध्यक्ष की अध्यक्षता के दौरान, हम अपने प्रदेश की अधिक समृद्धि और कल्याण को प्रेरित करने के लिए अपने विचारों एवं कार्रवाई के केन्‍द्र में रखकर एससीओ के एजेंडे को समृद्ध बनाने में एक रचनात्मक भूमिका निभाने की आशा करते हैं।

ध्यान देने के लिए आपका धन्यवाद !

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