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पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि पर उनके चित्रपट के आभासी अनावरण के अवसर पर विदेश राज्य मंत्री का संबोधन

अगस्त 16, 2020

माननीय राष्ट्रपति जी
डॉ. विनय सहस्रबुद्धे जी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष और संसद सदस्य,
श्री दिनेश के. पटनायक, आईसीसीआरकेमहानिदेशक,
विशिष्ट अतिथिगण,

देवियो और सज्जनों,

मुझे आज सुबह भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी के चित्रपट का औपचारिक अनावरण करने हेतु यहां उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता है।

वह मामूली साधनों और उच्च आदर्शों वाले परिवार में जन्मे, और मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर से थे। उन्होंने युवावस्था में शैक्षिक उत्कृष्टता हासिल की और स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से ही सार्वजनिक सेवा करने के इच्छुक रहे।

पहली बार वो राजनीति में अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय शामिल हुए थे। वाजपेयी जी का झुकाव पत्रकारिता की ओर था क्योंकि वे छात्र जीवन से ही भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे। उन्होंने हिंदी साप्ताहिक पांचजन्य; हिंदी मासिक राष्ट्रधर्म; और दैनिक समाचार पत्र वीर अर्जुन तथा स्वदेश जैसे प्रकाशनों के लिए संपादक के रूप में कार्य किया।

अपने उदारवादी विश्वदृष्टि और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता हेतु जाने जाने वाले, बहुमुखी व्यक्तित्व, सभी के द्वारा सम्मानित, वाजपेयी जी लोगों की भलाई हेतु कार्य करने वाले व्यक्ति थे और राजनीतिक वर्ग के लिए एक मार्गदर्शक थे।

उन्हें बहुत कम समय के लिए 1996 में, 1998-1999 से और फिर 1999 से 2004 के बीच पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए तीन बार प्रधानमंत्री के रूप में सेवा करने का विशिष्ट सम्मान मिला।

वाजपेयी जी का मानना​था कि भारत एक अग्रगामी, मजबूत तथा समृद्ध राष्ट्र है। प्रधानमंत्री के अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, 1998 का पोखरण-II परमाणु परीक्षण और 1999 का कारगिल युद्ध वाजपेयी सरकार के कुछ ऐसे साहसिक कदम थे, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के प्रति धारणा को बदल दिया। औद्योगिक और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, विशेषकर सड़कों तथा दूरसंचार के आधुनिकीकरण में उनका योगदान उल्लेखनीय थे, जिससे कनेक्टिविटी में सुधार, औद्योगिक विस्तार, और उन्नत कृषि फसलें, आईटी उद्योग में तेजी तथा विदेशी निवेश में वृद्धि हुई। उच्च अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति उनका स्थायी लक्ष्य था। स्वाभाविक रुप से प्रसिद्ध रणनीतिकार के रुप में वाजपेयी का यथार्थवाद संयम द्वारा नियंत्रित था, जिसने उन्हें भारत हेतु एक व्यावहारिक विदेश नीति का सांचा तैयार करने के लिए प्रेरित किया जो आज तक स्थायी है। उनके कुशल नेतृत्व में, भारत का वैश्विक कद बढ़ा और कुछ ही वर्षों में दुनिया भारत को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय देश मानने लगी।

अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत की विदेश नीति पर एक स्थायी छाप छोड़ी जिसमें उन्होंने पहले गैर-कांग्रेसी विदेश मंत्री के रूप में और बाद में प्रधानमंत्री के रूप में आकार देने में मदद की, जिसने बदलती हुई भू-राजनीति को ध्यान में रखते हुए प्रमुख शक्तियों के साथ भारत के संबंधों को परिभाषित किया।

हमारे पड़ोसी उनकी प्राथमिकता थे। कई मायनों में, वह हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति की प्रेरणा थे, और इसके अग्रणी भी थे।

एक अद्वितीय वक्ता के रुप में, लोगों में आत्म-विश्वास जगाने तथा उन्हें उच्च कल्याण तक पहुंचाने हेतु उनमें हास्य की मजबूत भावना और स्वाभाविक रूप से लोगों से जुड़ने की क्षमता थी। वाजपेयी को हिंदी के बेहतरीन कवियों में गिना जाता है। उनकी कविता उनके गहन संवेदनशील व्यक्तित्व, उनकी बढ़ती देशभक्ति, आम लोगों की दुर्दशा के प्रति उनकी चिंता, लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सबसे बढ़कर, उनकी विनम्रता को दर्शाती है। उनकी कविताओं का संग्रह, मेरी इक्यावन कविताएं, सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बन गई। उनकी कई कविताओं को भारत के प्रसिद्ध गायकों जैसे लता मंगेशकर और जगजीत सिंह ने गाया है।

श्री वाजपेयी जी एक दृढ़ व्यक्ति थे। उनका विनम्र जीवन, देश के प्रति उनका प्यार और देश के लिए बड़े सपने देखने की उनकी क्षमता हम सभी के लिए प्रेरणा है।

उनको इतिहास की गहरी समझ थी और सभ्यतागत लोकाचारों के गहरे समीक्षक थे।

उन्हें हमेशा एक सच्चे राजनीतिज्ञ, नेता और दूरदर्शी के रूप में याद किया जाएगा, जो आगे बढ़ने में हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

नई दिल्ली
16 अगस्त, 2020
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