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हाल ही में किए गए उच्च स्तरीय दौरों को ध्यान में रखते हुए हमारी विदेश नीति को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास पर विदेश मंत्री द्वारा स्वप्रेरणा से राज्य सभा में प्रस्तुत वक्तव्य (28 नवंबर, 2019)

नवम्बर 28, 2019

अध्यक्ष महोदय,

1.मैं संसद के पिछले सत्र के बाद से हमारी विदेश नीति को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों पर इस सम्मान्य सदनके समक्ष अपना वक्तव्य प्रस्तुत करना चाहता हूँ। ऐसा करने में, मैंने हाल ही मेंकी गई उच्च-स्तरीय दौरों को ध्यान में रखा है l अध्यक्ष महोदय, उन दौरों के महत्त्व से अवगत कराने के लिए मुझे उसके संदर्भ को संक्षेप में प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए ।

2. इस सरकार कीविदेश नीति एक व्यापक दृष्टिकोण है जो विश्व की स्थिति और उसमें बढ़ती भारत की भूमिका दोनों को दर्शाता है। हमारे समक्ष एक बहुध्रुवीय परिदृश्य है जो पिछले एक दशक में सामने आया है, हालांकि हाल के वर्षों में इसकी गति तेज हुई है। हमारी बढ़ती क्षमता और प्रभाव, निश्चित रूप से, इस परिवर्तन का एक हिस्सा है। इसके लिए यह अपेक्षित है कि हम गहन द्विपक्षीय बातचीत में संलग्न होते हुए भी बहुपक्षवाद को मजबूत करें। इसका अर्थ यह भी है कि हम रूढ़िवादी कूटनीति से परे हटकर राष्ट्रों के विभिन्न संयोजन के साथ समस्या-आधारित समझौते करें । वैश्विक एजेंडा को अधिक प्रभावी ढंग से आकार देने के लिए, भारत को सभी क्षेत्रों के बड़े और छोटे देशों को शामिल करना है। यह केवल हमारे राष्ट्रीय हित को आगे बढ़ाने का मामला नहीं है। दुनिया को हमसे जो अपेक्षाएँ हैं, वे भी बहुत अधिक हैं।हमारे क्षेत्र में, यह"पहले हमारा पड़ोसी" दृष्टिकोण एवं "एसएजीएआर” सिद्धांत में दिखाई देता है। हमने पश्चिम में खाड़ी में एक प्रभावी ब्रिज का निर्माण करते हुए एक्ट ईस्ट नीति का सख्ती से पालन किया है। हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र के प्रति हमारे दृष्टिकोण से लगातार बेहतर समझ उत्पन्न हुई है । अफ्रीका और दक्षिण के अन्य राष्ट्रों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता कार्यान्वित की जा रही है। क्षेत्रीय शिखर सम्मेलनों में भारत के बढ़ते प्रभाव को दुनिया ने माना है l

3.अत:, इन सब का संचयी प्रभाव अधिक से अधिक राजनयिक गतिविधि, अधिक गहन विकास साझेदारी, मजबूत सुरक्षा संलग्नता और बढ़ती वैश्विक प्रोफ़ाइल का संयोजन है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास हमारी विदेश नीति का भी मार्गदर्शक है। अध्यक्ष महोदय, पिछले सत्र के बाद से उच्च-स्तरीय दौरों में यह दिखाई दे रहा है। माननीय राष्‍ट्रपतिजी ने वर्ष 2019 में सितंबर में आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया का तथा अक्तूबर में फिलीपींस और जापान का राजकीय दौरा किया । माननीय उप राष्‍ट्रपति ने लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया का दौरा अगस्त में तथा कोमोरोस और सिएरा लियोन का दौरा अक्तूबर में किया । माननीय उपराष्ट्रपति ने अक्तूबर 2019 में अजरबैजान में आयोजित 18 वें एनएएम शिखर सम्मेलन के लिए प्रतिनिधिमंडल का भी नेतृत्व किया।प्रधान मंत्री ने अगस्त में भूटान और फिर फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन का दौरा किया; सितंबर में रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा किया जिसमें संयुक्त राष्ट्र का दौरा भी शामिल था; अक्तूबर में सऊदी अरब का दौरा किया तथा नवंबर में पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए थाईलैंड गए और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील गए । नवंबर में रक्षा मंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन के सरकारी प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनकी कूटनीतिक पहल को मेरे और राज्य मंत्री के एशिया, अफ्रीका, यूरोप अमेरिका के विभिन्न देशों के दौरे द्वारा समर्थन दिया गया है।

4. इन प्रयासों के माध्यम से, हमने विभिन्न क्षेत्रों और भागीदारों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर किया है। इसके द्वारा भारत के हितों और दृष्टिकोण को सामने लाकर वैश्विक एजेंडा को आकार देने की कोशिश की गई है। इससे द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं, अनुकूल बहुपक्षीय और बहुपार्श्वीय परिणाम सामने आए हैं और हमारा राष्ट्रीय हित उन्नत हुआ है। इसमें जलवायु परिवर्तन पर बड़े विचारों से लेकर आतंकवाद-रोधी और भ्रष्टाचार-रोधी नीतिगत उपायों के साथ-साथ व्यापार, निवेश एवं श्रमिकों के लिए अवसर पर व्यावहारिक कार्रवाई एवं प्रवासी भारतीयों का कल्याण सुनिश्चित करना शामिल है। इन सभी से विश्व में भारत की छवि उभारने में मदद मिली है l

5. माननीय राष्ट्रपतिजी और माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा किए गए दौरों से हमारी द्विपक्षीय साझेदारी मजबूत हुई है। राष्ट्रपति जी का स्लोवेनिया दौरा भारत के अबतक के किसी भी राष्ट्रपति द्वारा किया गया उस देश का पहला दौरा था । राष्ट्रपतिजी ने अपनी विभिन्न यात्राओं के दौरान, उन स्थानों पर जीवंत भारतीय समुदाय के साथ बातचीत की, विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिया, स्विट्जरलैंड के विलेन्यूवे नगर में, जिसका दौरा महात्मा गांधी ने 1931 में किया था, महात्मा गांधी की एक आवक्ष मूर्ति का अनावरण किया, और महत्वपूर्ण समझौताज्ञापनों यथा-फिलीपींस के साथ व्हाईट शिपिंग एवं पर्यटन पर तथा स्लोवेनिया के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर हस्ताक्षर किए।राष्ट्रपतिजी ने आइसलैंड, स्लोवेनिया, स्विट्जरलैंड और फिलीपींस में व्यापार मंचों को भी संबोधित किया। जापान के सम्राट के सिंहासनारूढ़ होने के अवसर पर उनकी जापान यात्रा से इस महत्वपूर्ण भागीदार से हमारे जुड़े रहने की बात को बल मिलाl

6. इस अवधि के दौरान माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा किए गए इन सभी छह देशों का दौरा भारत द्वारा किए गए उन देशों का पहला उच्च स्तरीय दौरा था । माननीय उपराष्ट्रपति के दौरे से हमें बाल्टिक राज्यों के साथ अपने आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने में मदद मिली और उन देशों के साथ हमारे सांस्कृतिक और भाषाई संबंध उजागर हुए।कोमोरोस और सिएरा लियोन के उनके दौरे को व्यापक रूप से सराहना मिली, क्योंकि ऐसा करके हमने अफ्रीकी देशों के साथ अपनी दोस्ती की प्रतिबद्धता को दोहराया। इन दौरों के ठोस परिणाम सामने आए जिसमें कोमोरोस के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग किया जाना और सिएरा लियोन के साथ 30 मिलियन अमरीकी डॉलर की ऋण व्यवस्था के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया जाना शामिलहै l

7. एनएएम शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा किए गए अजरबैजान के दौरे से एनएएम के प्रति भारत की निरंतर प्रतिबद्धता उजागर हुई। इस दौरे का महत्त्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह 2020 में बांडुंग सिद्धांतों की 65वीं वर्षगांठ और 2021 में एनएएम की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ से ठीक पहले किया गया । इस दौरे के दौरान, माननीय उपराष्ट्रपति ने अफगानिस्तान, क्यूबा, वेनेजुएला और ईरान के राष्ट्रपति एवं वियतनाम के उपराष्ट्रपति तथा बांग्लादेश और नेपाल के प्रधान मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठकें की l

8. सदन के पिछले सत्र के बाद से, प्रधान मंत्री ने 17-18 अगस्त, 2019 तक भूटान का राजकीय दौरा किया। प्रधान मंत्री के दूसरे कार्यकाल के प्रारंभ में किया गया यह दौरा "पहले हमारा पड़ोसी" की हमारी नीति के प्रति सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। भूटान के साथ भारत की अनन्य और विशेष मित्रता इस तथ्य से स्पष्ट है कि भूटान के प्रधान मंत्री, डॉ. लोह्टे शेरिंग ने हवाई अड्डे पर हमारे प्रधान मंत्री का स्वागत किया और हमारे प्रधान मंत्री के सम्पूर्ण दौरे के दौरान उनके साथ रहे l प्रधान मंत्री ने भूटान के राजा महामहिम जिग्मे केसर नामग्याल वांगचुक और चौथे राजा महामहिम जिग्मे सिंगे वांगचुक के साथ गर्मजोशी से बातचीत की।भूटान के प्रधान मंत्री के साथ उनकी बातचीत में, भूटान के प्रधान मंत्री ने जल-विद्युत क्षेत्र सहित भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास में भारत की निरंतर सहायता की सराहना की । दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से 720 मेगावाट के मंगदेछु जल-विद्युत् परियोजना, दक्षिण-एशिया उपग्रह के लिए ग्राउंड अर्थ स्टेशन का उद्घाटन किया तथा रू-पे कार्ड का शुभारंभ किया। उन्होंने थिम्पू में एक इंडो-भूटान सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की स्थापना पर सहमति व्यक्त की। यह दौरा दोनों देशों के लिए हमारे सुरक्षा हितों की सामान्य और अविभाज्य प्रकृति पर फिर से जोर देने का एक अवसर भी था।

9.हमारे प्रधान मंत्री को फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा 25-26 अगस्त 2019 को बिएरित्ज, फ्रांस में आयोजित जी 7 शिखर आउटरीच सम्मलेन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। यह निमंत्रण जी-7 देशों द्वारा जलवायु, जैव विविधता और महासागरों से संबंधित मामलों एवं डिजिटल परिवर्तन पर भारत के नेतृत्व को दिए जानेवाले महत्त्व की स्वीकारोक्ति हैl एकल-उपयोग प्लास्टिक के विरुद्ध जन आंदोलन के प्रधानमंत्री के आह्वान का अन्य नेताओं ने स्वागत किया। डिजिटल परिवर्तन सत्र में, जब प्रधान मंत्री को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया तो उन्होंने सशक्तिकरण और समावेशी सामाजिक विकास के लिए अपनी सरकार द्वारा की जा रही पहल पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि वे जी-7 देशों के साथ ऐसे मुद्दों पर और बहुपक्षीय प्रणाली द्वारा वर्तमान वास्तविकताओं का और अधिक प्रतिनिधित्व किए जाने हेतु उसके सुधार के लिए कार्य करना जारी रखेंगे । प्रधान मंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन, सेनेगल के राष्ट्रपति मैके सैल और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। उन्होंने अलग से फ्रांस का दौरा किया और राष्ट्रपति मैक्रोन के साथ व्यापक द्विपक्षीय वार्ता की, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ रक्षा और सुरक्षा, असैनिक परमाणु सहयोग सहित ऊर्जा, अंतरिक्ष, आतंकवाद का मुकाबला और व्यापार एवं निवेश सहित फ्रांस के साथ रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई।

10. खाड़ी देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प के अनुसरण में, प्रधानमंत्री ने 22-24 अगस्त, 2019 के बीच बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात तथा 29 अक्टूबर, 2019 को सऊदी अरब का दौरा किया। प्रधान मंत्री का बहरीन का दौरा भारत के अबतक के किसी भी प्रधान मंत्री द्वारा किया गया पहला दौरा था जो चौतरफा संबंधों को मजबूत करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का संकेत था और जिसका वहां के राजा और अन्य नेताओं द्वारा स्वागत किया गया। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व के साथ, जिनके साथ हमने 2014 से अपने संबंधों का गुणात्मक परिवर्तन देखा है, प्रधान मंत्री के मुलाक़ात से ऊर्जा, व्यापार, निवेश और सुरक्षा के क्षेत्र में हमारे साझा हितों को आगे बढ़ाने और इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के हितों के मामलों पर उनसे चर्चा करने का मौक़ा मिला । बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात में रु-पे कार्ड भी चालू कियागया lबहरीन के राजा और अबू धाबी के युवराज ने घनिष्ठ मित्रता और आत्मीयता के प्रतीक के रूप में प्रधान मंत्री को अपने राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान प्रदान किए। हमने सऊदी अरब के साथ एक रणनीतिक साझेदारी परिषद की भी स्थापना की है जो व्यापार और निवेश, ऊर्जा एवं सुरक्षा संबंधी सहयोग की देखरेख करेगी, जिससे हमारे रणनीतिक संबंध और मजबूत होने की उम्मीद है। प्रधान मंत्री ने भारत की आर्थिक संभावनाओं और निवेश के अवसरों पर फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव फोरम में मुख्य भाषण दिया ।

11. राष्ट्रपति पुतिन के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन और व्लादिवोस्तोक में पांचवें पूर्वी आर्थिक मंच में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लेने के लिए प्रधान मंत्री की 4-5 सितंबर, 2019 तक रूस का दौरा भी हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक नया मील का पत्थर था । प्रधान मंत्री की यात्रा से पहले, वाणिज्य और उद्योग मंत्री के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने, जिसमें चार राज्यों के मुख्यमंत्री और 100 से अधिक व्यापार से जुड़े व्यक्ति थे, ऊर्जा, खनन एवं कृषि जैसे क्षेत्रों में सुदूर पूर्व रूस के साथ सहयोग की संभावनाओं की तलाश में व्लादिवोस्तोक का दौरा किया था। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री के दौरे के दौरान सहयोग के पांच वर्ष के कार्यक्रम की परिकल्पना करने वाले ऊर्जा एजेंडे को भी अग्रिम रूप से तैयार किया गया । सुदूर पूर्व रूस में व्यापार करने के लिए भारतीय कंपनियों की सहायता के लिए, प्रधान मंत्री ने विशेष रूप से रूस के इस हिस्से के लिए 1 बिलियन अमरीकी डालर की विशेष व्यवस्था व्यवस्था की घोषणा की है। राष्ट्रपति पुतिन के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन का उपयोग रक्षा और सुरक्षा, अंतरिक्ष (गगनयान कार्यक्रम), असैन्य परमाणु सहयोग, व्यापार और निवेश एवं व्यक्तिश: संपर्क में हमारी बहुमुखी गतिविधियों तथा सहयोग की समीक्षा और प्रगति के लिए किया गया। राष्ट्रपति पुतिन ने रूसी संघ के साथ विशेष और विशेषाधिकृत सामरिक साझेदारी के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता के चिह्न के रूप में व्लादिवोस्तोक में ईईएफ में प्रधान मंत्री की भागीदारी की काफी सराहना की।

12. दिनांक 22-27 सितंबर, 2019 तक न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74 वें अधिवेशन के उच्च स्तरीय खंड में प्रधान मंत्री की उपस्थिति से वैश्विक अनिश्चितता के दौर में बहुपक्षवाद के प्रति हमारी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को बल मिला । प्रधान मंत्री ने मौलिक सुधार के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रभावी और उद्देश्यपूर्ण बनाने का आह्वान किया।प्रधान मंत्री ने तीन महत्वपूर्ण आयोजनों में भाग लिया - जलवायु संबंधी कार्रवाई पर शिखर सम्मलेन, जिसमें उन्होंने हमारी नई पहल, आपदा-रोधी आधारिक संरचना के लिए गठबंधन की घोषणा की, तथा एकल-उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के हमारे निर्णय को भी दोहराया; सार्वजनीन स्वास्थ्य कवरेज पर उच्च स्तरीय बैठक, जिसमें उन्होंने हमारी सरकार द्वारा की गई आयुष्मान भारत पहल पर प्रकाश डाला तथा सभी सरकारों द्वारा "2030 तक सार्वजनीन स्वास्थ्य कवरेज के लिए विज़न" के प्रति प्रतिबद्धता; एवं आतंकवादी और हिंसावादी अतिवादियोंके बारे में रणनीतिक प्रतिक्रया पर नेतृत्व के बीच संवाद में शामिल हुए , जिसमें उन्होंने सभी देशों को आतंकवाद के संकट से निपटने में हाथ मिलाने की तत्काल सामूहिक आवश्यकता की बात कही। संयुक्त राष्ट्र संघ के 75 वें वर्ष में उसके प्रति भारत के समर्थन की स्पष्ट पुनरावृत्ति के रूप में संयुक्त राष्ट्र के सामान्य सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री की भागीदारी का स्वागत किया गया l

13. संयुक्त राष्ट्र महासभा में आम बहस के दौरान अपने संबोधन में, प्रधान मंत्री ने विकास के एजेंडे पर जोर दिया । उन्होंने भारत की पहल जैसे स्वच्छ भारत, जन धन योजना आदि को विश्व के लिए प्रेरणा के रूप में रेखांकित किया। प्रधान मंत्री ने कहा कि भारत का विकास विश्व में उम्मीद जगाता है और अन्य विकासशील देशों को विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने की पेशकश की । उन्होंने शांति और विकास एवं समृद्धि के लिए महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के संदेश तथा बहुपक्षवाद के लिए स्वामी विवेकानंद के सौहार्द और शांति के मॉडल पर जोर दिया।

14. न्यूयॉर्क में प्रधान मंत्री की व्यस्तताओं का एक आकर्षण, पहली बार, प्रशांत महासागर के छोटे द्वीपों केविकासशील राज्यों के नेताओं और कैरेबियन समुदाय (सीएआरआईसीओएम) के नेताओं के साथ बैठक में भाग लेना था । इस पहल को इन दोनों क्षेत्रों के सभी नेताओं ने बहुत सराहा। उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिए प्रधानमंत्री की वित्तीय सहायता और रियायती ऋण व्यवस्था की पेशकश का स्वागत किया गया। प्रधान मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की तर्ज़ पर 16 अन्य राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प, ईरान के राष्ट्रपति रूहानी, मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह, बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना और यूरोपीय परिषद के भावी अध्यक्ष बेल्जियम के श्री चार्ल्स मिशेल शामिल हैं।

15. महात्मा गांधी की 150 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, प्रधान मंत्री ने 21 सितंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र महासचिव, बांग्लादेश, जमैका और सिंगापुर के प्रधान मंत्रियों एवं दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की उपस्थिति में एक विशेष स्मरणीय समारोह की अध्यक्षता की। गांधीजी की 150 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया । प्रधानमंत्री ने गांधी जी की स्मृति में संयुक्त राष्ट्र भवन की छत पर स्थापित सोलर पैनल्स के लिए1 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भारतीय अनुदान समर्पित किया।

16. प्रधान मंत्री ने वार्षिक भारत-आसियान और भारत-पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एवं संबंधित बैठकों में भाग लेने के लिए 2-4 नवंबर तक थाईलैंड का दौरा किया। उन्होंने हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी में आसियान की केंद्रीयता और इस साझेदारी को बढ़ाने की हमारी पहल पर जोर दिया, जिसमें हमारे आईआईटी में 1000 एशियाई छात्रों के लिए पीएचडी फेलोशिप कार्यक्रम की हमारी पेशकश शामिल है। यह आसियान के लिए भारत की सबसे बड़ी एकल क्षमता निर्माण परियोजना है। आसियान नेताओं ने हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र के प्रति हमारे दृष्टिकोण की काफी सराहना की। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में, हमने सहयोग के लिए एक खुले, स्वतंत्र और समावेशी मंच के रूप में हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र के प्रति पहल का प्रस्ताव रखा।तीसरे आरसीईपी शिखर सम्मेलन में, प्रधान मंत्री ने बताया कि भारत ने आरसीईपी वार्ता में नेकनीयती और सहयोग की भावना के साथ भाग लिया था, लेकिन अंततः आरसीईपी समझौते के साथ खुद को संबद्ध करने में असमर्थ रहा क्योंकि अपने वर्तमान स्वरूप में यह समझौता हमारे सभी शेष मुद्दों और मामलों का संतोषजनक समाधान नहीं करता है । सरकार ऐसी सभी वार्ताओं में हमारे हितों का समर्थन करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।

17. प्रधानमंत्री 13-14 नवंबर, 2019 तक ब्रासीलिया में आयोजित 11 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेकर अभी वापस लौट हैं, जहां उन्होंने ब्राजील, चीन और रूस के राष्ट्रपतियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की हैं। शिखर सम्मेलन में, अन्य बातों के साथ-साथ, राष्ट्रीय संप्रभुता, आर्थिक विकास, आतंकवाद, बहुपक्षवाद, डिजिटल परिवर्तन, और विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के लिए अंतर-ब्रिक्स सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया। इनमें से कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य हुए । आतंकवाद पर पाँच उप-कार्य समूहों का गठन व्यावहारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया गया है।प्रधान मंत्री ने ब्रिक्स द्वारा प्रारंभ किए जाने वाले कई कार्य की घोषणा कीं, जिन्हें भारत आने वाले वर्षों में करने का प्रस्ताव रखता है, जिसमें हमारे " फिट इंडिया आन्दोलन " की तर्ज़ पर ब्रिक्स डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मलेन की मेजबानी करना, ब्रिक्स जल मंत्रियों की पहली बैठक की मेजबानी करना, ब्रिक्स फिल्म प्रौद्योगिकी संगोष्ठी तथा ब्रिक्स युवा शिखर सम्मेलन का आयोजन शामिल है lइस दौरे के दौरान, प्रधान मंत्री ने ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनैरो के साथ सार्थक बैठक की। प्रधान मंत्री ने गणतंत्र दिवस के लिए मुख्य अतिथि के रूप में ब्राजील के राष्ट्रपति को भारत आने का आमंत्रणदिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।

18. रिवाज के अनुसार हमारे नेताओं ने जिन देशों का दौरा किया वहाँ रहने वाले भारतीय समुदाय के साथ मुलाकात की । राष्ट्रपतिजी ने जिन 5 देशों का दौरा किया वहाँ रहने वाले भारतीय समुदाय के साथ बातचीत की तथा उपराष्ट्रपति ने भी यूरोप और अफ्रीका के अपने दौरे के दौरान वहाँ रहने वाले भारतीय समुदाय के साथ बातचीत की l प्रधान मंत्री ने क्रमशः बहरीन, ह्यूस्टन और बैंकॉक में भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उपस्थिति और भागीदारी के लिए ह्यूस्टन का आयोजन विशिष्ट रहा ।

19. पिछले तीन महीनों में, प्रधान मंत्री ने भारत में विश्व के कई नेताओं की अगवानी की l बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना 5 अक्तूबर को राजकीय दौरे पर भारत आईं जो बांग्लादेश के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों की उत्कृष्ट स्थिति दर्शाता है l इस दौरे के दौरान चटग्राम और मोंगला बंदरगाह के उपयोग सहित कई महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गएl । यह पूर्वोत्तर में हमारी संयोजकता को काफी बढ़ाएगा। फेनी नदी के पानी से त्रिपुरा के सबरूम शहर में पीने के पानी की आपूर्ति के लिए करार किया जाना एक उल्लेखनीय कदम रहा ।प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दिनांक 11 -12 अक्तूबर को चेन्नई में अपने दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में वैश्विक और क्षेत्रीय महत्व के व्यापक, दीर्घकालिक और रणनीतिक मुद्दों पर गहन चर्चा जारी रखी। 5 वाँ द्विवार्षिक अंतर-सरकार परामर्श 1 नवंबर को जर्मनी के चांसलर मैर्केल के साथ आयोजित किया गया, जिसमें दोनों पक्षों ने नई और उन्नत प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कौशल विकास, रेलवे आधुनिकीकरण और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

20. कुल मिलाकर, इस सरकार के कार्यकाल के पहले छह महीनों में, हमने "पहले हमारा पड़ोसी" की नीति पर पुन: जोर दिया; सभी प्रमुख देशों के साथ उच्चतम स्तर पर अपने रिश्तों को फिर से मजबूत किया; खाड़ी, दक्षिण-पूर्वी एशिया और अफ्रीकी क्षेत्रों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने के लिए काम किया; आपदा प्रतिरोधक संरचना के लिए गठबंधन के रूप में एक नई अंतर्राष्ट्रीय पहल शुरू की,और सतत विकास लक्ष्यों के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने एवं बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार करने के प्रति गहरी रुचि व्यक्त की ताकि वह वर्तमान आवश्यकताओं के अनुकूल हो । इन उद्देश्यों के अनुसार काम करने में, हमारी सरकार ने हमेशा विदेश नीति के संचालन में अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी है, और राष्ट्रीय हित द्वारा हमारे उद्देश्यों और लक्ष्यों को निर्धारित किया जाना सुनिश्चित किया है।

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